नई दिल्ली: केंद्रीय खेल मंत्रालय ने नवगठित भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) को निलंबित कर दिया है. इस फैसले से संजय सिंह डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष नहीं रह पाएंगे. अध्यक्ष निर्वाचित होने के बाद संजय सिंह द्वारा लिए गए सभी फैसलों पर भी रोक लगा दी गई है.
संजय सिंह हाल ही में डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे. उन्हें 40 मत मिले थे. अध्यक्ष निर्वाचित होने के बाद संजय सिंह ने अंडर-15 और अंडर-20 राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में कराए जाने की घोषणा की थी. माना जा रहा है कि केंद्र सरकार ने इस फैसले के कारण ही यह कदम उठाया है.
केंद्रीय खेल मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि डब्ल्यूएफआई के नवनिर्वाचित कार्यकारी निकाय द्वारा लिए गए फैसले पूरी तरह से नियमों के खिलाफ हैं और डब्ल्यूएफआई के प्रावधानों और नेशनल स्पोर्ट्स डेवलेपमेंट कोड का उल्लंघन है. इन फैसलों से नए अध्यक्ष की मनमानी दिखाई देती है, जो सिद्धांतों के खिलाफ है और पारदर्शिता से रहित है. निष्पक्ष खेल, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए नियमों का पालन महत्वपूर्ण है. एथलीटों, हितधारकों और जनता के बीच विश्वास बनाना महत्वपूर्ण है.
संजय सिंह को डब्ल्यूएफआई का नया अध्यक्ष चुना गया था. संजय सिंह को भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह का करीबी माना जाता है, जिन पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगा था. चुनाव में संजय सिंह को सर्वाधिक मत मिले और इसे निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण का राष्ट्रीय महासंघ पर परोक्ष नियंत्रण माना जा रहा था. संजय सिंह के अध्यक्ष बनने के बाद पहलवान साक्षी मलिक ने कुश्ती छोड़ने का ऐलान कर दिया था. उनके बाद बजंरग पूनिया ने पद्मश्री लौटाने की घोषणा की थी.
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