काठमांडू: नेपाल और भारत के बीच बिजली निर्यात पर एक दीर्घकालिक समझौता हुआ है. ऊर्जा मंत्रालय में आयोजित एक समारोह के बीच दोनों देशों के ऊर्जा सचिवों ने दीर्घकालिक ऊर्जा व्यापार संबंधी समझौते पर हस्ताक्षर किये. इससे अगले 10 वर्षों में 10 हजार मेगावाट बिजली निर्यात होने के साथ ही दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच हुई सहमति के कार्यान्वयन का रास्ता खुल गया है.
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर इस समय नेपाल यात्रा पर हैं. इसी दौरान गुरुवार को नेपाल के ऊर्जा मंत्री शक्ति बस्नेत की उपस्थिति में नेपाल के ऊर्जा मंत्रालय के सचिव गोपाल सिग्देल और भारत के ऊर्जा सचिव पंकज अग्रवाल ने बिजली व्यापार संबंधी द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए. यह समझौता प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल ‘प्रचंड’ की पिछले साल भारत यात्रा के दौरान दीर्घकालिक ऊर्जा पर बनी सहमति के आधार पर हुआ है. उस समय भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त पत्रकार सम्मेलन में दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक ऊर्जा समझौते पर सहमति होने की घोषणा करते हुए अगले 10 वर्षों में 10 हजार मेगावाट बिजली नेपाल से आयात करने की बात कही थी.
भारत की केंद्रीय कैबिनेट पहले ही बिजली आयात समझौते को मंजूरी दे चुकी है. इस समझौते के बाद भारत की सरकारी और निजी क्षेत्रों की विभिन्न कंपनियां अल्पावधि, मध्यम अवधि और दीर्घकालिक बिजली खरीद बिक्री समझौते करके बिजली प्राप्त कर सकेंगी. नेपाल और भारत के निजी क्षेत्र भी आवश्यक समझौता करके बिजली का आयात और निर्यात कर सकेंगे.
नेपाल के प्रधानमंत्री ‘प्रचंड’ ने इस समझौते को ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण कदम बताया है. उन्होंने कहा कि नेपाल सरकार ने अगले 10 वर्षों में कुल 28 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन के लक्ष्य के साथ एक ऊर्जा विकास रणनीति भी तैयार की है. घरेलू खपत के लिए 13 हजार मेगावाट और भारत सहित अन्य देशों को निर्यात के लिए 15 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा है.
निजी क्षेत्र ने भी इस समझौते का स्वागत करते हुए कहा है कि इससे नेपाल के ऊर्जा क्षेत्र में विकास का द्वार खुल जाएगा. नेपाल उद्योग वाणिज्य महासंघ के अध्यक्ष चन्द्र ढकाल ने बताया कि सरकार का लक्ष्य निजी क्षेत्र को साथ लेकर ऊर्जा क्षेत्र के विकास में गुणात्मक बदलाव लाना है.
साभार – हिन्दुस्थान समाचार
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