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अब तक का सबसे गर्म साल रहा 2023, नासा की रिपोर्ट में खुलासा

धरती पर बढ़ता तापमान हर साल नए-नए रिकॉर्ड स्थापित कर रहा है. साल 2023 पिछले सालों के मुकाबले सबसे अधिक गर्म रहा है.

Editor Ritam Hindi by Editor Ritam Hindi
Jan 16, 2024, 05:00 pm IST
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चेन्नई: धरती पर बढ़ता तापमान हर साल नए-नए रिकॉर्ड स्थापित कर रहा है. साल 2023 पिछले सालों के मुकाबले सबसे अधिक गर्म रहा है.

अमेरिका से प्रकाशित होने वाली अनुसंधान पत्रिका “डेली साइंस” में प्रकाशित 14 जनवरी की शोध रिपोर्ट के अनुसार 2023 में पृथ्वी की औसत सतह का तापमान रिकॉर्ड स्तर पर सबसे गर्म था. न्यूयॉर्क स्थित नासा के गोडार्ड इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस स्टडीज (जीआईएसएस) के वैज्ञानिकों ने बताया कि पिछले साल वैश्विक तापमान नासा के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 1951-1980 की तुलना में 1.2 डिग्री सेल्सियस अधिक था. यह विश्लेषण नासा द्वारा संचालित नासा/गोडार्ड अंतरिक्ष फ्लाइट सेंटर की रिपोर्ट में दर्ज है.

नासा के प्रशासक बिल नेल्सन ने कहा, “नासा और एनओएए की विश्व भर की तापमान रिपोर्ट इस बात की पुष्टि करती है कि दुनिया भर के अरबों लोगों ने पिछले साल यह अनुभव किया था कि हम जलवायु संकट का सामना कर रहे हैं.” उन्होंने आगे कहा , “अत्यधिक गर्मी से लेकर जंगल की आग तक, समुद्र के बढ़ते स्तर तक आज कई महत्वपूर्ण कारकों को हम देख सकते हैं कि हमारी पृथ्वी बदल रही है. अभी भी और काम किया जाना बाकी है. हालांकि राष्ट्रपति बिडेन और पूरे अमेरिका में समुदाय जलवायु जोखिमों को कम करने और समुदायों को बेहतर बनने में मदद करने के लिए पहले से कहीं अधिक कार्रवाई कर रहे हैं. अधिक फेरबदल कर करने वाला जलवायु आंकड़े प्राप्त करने के लिए अंतरिक्ष का सहारा लिया जाएगा, जो आसानी से सुलभ है. नासा और बिडेन-हैरिस प्रशासन हमारे गृह ग्रह और उसके लोगों की रक्षा के लिए काम कर रहे हैं .”

दुनिया भर में करोड़ों लोगों ने 2023 में अत्यधिक गर्मी का अनुभव किया और जून से दिसंबर तक प्रत्येक महीने ने संबंधित महीने के लिए एक वैश्विक रिकॉर्ड बनाया. जुलाई, 2023 अब तक का सबसे गर्म महीना दर्ज किया गया. कुल मिलाकर, 2023 में पृथ्वी 19वीं सदी के उत्तरार्ध के औसत से लगभग 2.5 डिग्री फ़ारेनहाइट (या लगभग 1.4 डिग्री सेल्सियस) अधिक गर्म थी, जब आधुनिक रिकॉर्ड-कीपिंग शुरू हुई थी.

जीआईएसएस के निदेशक गेविन स्मिट ने कहा, “जिस असाधारण गर्मी का हम अनुभव कर रहे हैं, वह मानव इतिहास में पहले कभी नहीं देखी गई है.” उन्होंने आगे कहा कि यह मुख्य रूप से हमारे जीवाश्म ईंधन के उत्सर्जन से जुड़ा हुआ है और हम गर्मी की लहरों, तीव्र वर्षा और भीषण बाढ़ में प्रभाव देख रहे हैं.”

हालांकि, वैज्ञानिकों ने बताया कि दीर्घगामी गर्मी बढ़ने की समस्या का कारण मानव गतिविधि पर जुड़ा हुआ है, फिर भी वे अन्य घटनाओं की जांच करते हैं, जो अल नीनो, एरोसोल और पर्यावरण प्रदूषण से लेकर ज्वालामुखी विस्फोट जैसे कारक जलवायु परिवर्तन को प्रभावित कर सकते हैं.

आमतौर पर, साल-दर-साल परिवर्तनशीलता का सबसे बड़ा स्रोत प्रशांत महासागर में दक्षिणी ध्रुव की महासागरीय जलवायु पैटर्न है. पैटर्न के दो चरण होते हैं अल नीनो और लानीना. जब भूमध्य रेखा के साथ समुद्र की सतह का तापमान गर्म, औसत और ठंडे तापमान के बीच बदल जाता है तो तो जलवायु में इस तरह के परिवर्तन आते हैं. 2020-2022 तक, प्रशांत महासागर में लगातार तीन लानीना घटनाएं देखी गईं, जो वैश्विक तापमान को ठंडा कर देती हैं. रिपोर्ट के अनुसार मई 2023 में महासागर लानीना से अल नीनो में परिवर्तित हो गया, जो सबसे गर्म वर्ष बनाए रखने के लिए जिम्मेदार कारक माना जा रहा है.

हालाँकि, 2023 की दूसरी छमाही में रिकॉर्ड तापमान वर्तमान अल नीनो घटना के चरम से पहले हुआ था. वैज्ञानिकों को फरवरी, मार्च और अप्रैल, 2024 में अल नीनो का सबसे बड़ा प्रभाव देखने की आशंका है. वैज्ञानिकों ने जनवरी 2022 में समुद्र के नीचे हंगाटोंगा-हंगाहा’ आपाई ज्वालामुखी के विस्फोट से संभावित प्रभावों की भी जांच की है, जिसने तापमान में काफी अंतर होने से जल वाष्प और महीन कणों या एरोसोल को नष्ट कर दिया था.

एक हालिया अध्ययन में पाया गया कि ज्वालामुखीय एरोसोल – पृथ्वी की सतह से दूर सूर्य के प्रकाश को परावर्तित करके दक्षिणी गोलार्ध में लगभग 0.1 डिग्री सेल्सियस से कम प्रभाव की ठंडक का कारण बना. नासा के रिपोर्ट में जून, जुलाई और अगस्त, 2023 के महीने संयुक्त रूप से किसी भी दूसरे गर्मी के महीनों की तुलना में 0.23 डिग्री सेल्सियस ज्यादा गर्म था जबकि 1951 और 1980 के बीच की औसत गर्मियों की तुलना में 1.2 डिग्री सेल्सियस ज्यादा गर्म था . अकेले अगस्त में 1.2 डिग्री सेल्सियस ज्यादा गर्म रिकार्ड किया गया, जो औसत से अधिक गर्म महीना था.

स्मिट ने कहा, “यहां तक कि कभी-कभार ज्वालामुखी या एरोसोल जैसे कारकों के वजह से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन बढ़ता रहेगा, हम गर्मी का रिकॉर्ड तोड़ते रहेंगे.” उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से हमने पिछले वर्ष फिर से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का एक नया रिकॉर्ड बनाया है. समुद्र विज्ञानी जोश विलिस ने बताया कि अल नीनो की वापसी के वजह से आंशिक रूप से बढ़े हुआ समुद्र की सतह का अत्यधिक उच्च तापमान अभूतपूर्व गर्मी के लिए काफी हद तक जिम्मेदार था.

नासा के उप प्रशासक पाम मेलरॉय ने कहा कि 2023 का रिकॉर्ड बनाने वाले जलवायु परिवर्तन को समझने की जरूरत है. अमेरिकी सरकार को अब तक का सबसे बड़ा जलवायु निवेश का अवसर प्राप्त हुआ है, जिसमें जलवायु संकट के बढ़ते प्रभावों के प्रति अमेरिका की अरबों डॉलर की योजना शामिल हैं.

नासा हजारों मौसम विज्ञान केंद्रों से एकत्र किए गए सतही वायु तापमान डेटा के साथ-साथ जहाज और उपकरणों द्वारा प्राप्त समुद्री सतह के तापमान डेटा का उपयोग करके अपने तापमान रिकॉर्ड को इकट्ठा कर उसका अध्ययन करता है. इसके विश्लेषण के आधार पर वह दुनिया भर को अपने अध्ययन की जानकारी देता है.

यूनाइटेड किंगडम मौसम कार्यालय ने निष्कर्ष निकाला है कि 2023 के लिए वैश्विक सतह का तापमान पर आधुनिक रिकॉर्ड-कीपिंग शुरू किया गया है. ये वैज्ञानिक अपने विश्लेषणों में अधिकांश समान तापमान पर आधारित डेटा का उपयोग करते हैं. नागरिकों को महत्वपूर्ण जलवायु डेटा आसानी से उपलब्ध कराने के लिए अमेरिकी ग्रीनहाउस गैस केंद्र शुरू किया गया है. यह केंद्र हवाई, ज़मीनी और अंतरिक्ष-जनित डेटा और संसाधनों को ऑनलाइन उपलब्ध कराने के लिए अमेरिका की सरकारी एजेंसियों और गैर-लाभकारी क्षेत्र के सहयोग को बढ़ावा देता है.

साभार – हिन्दुस्थान समाचार

Tags: NASA ReportWarmest Year 2023NASA GISS Data
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