यूपी के हाथरस में एक सत्संग के दौरान मची भगदड़ में 121 लोगों की जान चली गई थी. जिसके बाद सरकार ने एसआईटी को मामले की जांच सौंपी. एसआईटी ने 128 लोगों के बयान दर्ज किए और 3 बार घटनास्थल का बारिकी से निरीक्षण किया. जिसके बाद एसआईटी ने योगी सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. बड़ी बात ये है कि एसआईटी की रिपोर्ट में सूरजपाल जाटव यानि भोले बाबा के नाम का जिक्र नहीं किया गया है. जिसके बाद इसपर सियासत शुरू हो गई है. यूपी की पूर्व सीएम और बसपा प्रमुख मायावती ने एसआईटी की रिपोर्ट पर सवाल खड़े किए हैं और मायावती ने एसआईटी रिपोर्ट को राजनीति से प्रेरित बताया है. वहीं मायावती ने बाबा को लेकर सरकार की चुप्पी पर भी निशाना साधा है. बसपा सुप्रीमो ने योगी सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि बाबा विरुद्ध कड़ी कार्रवाई के बजाय उसे क्लीनचिट देने का प्रयास चर्चा का विषय है. सरकार जरूर ध्यान दे ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों.
2. इस अति-जानलेवा घटना के मुख्य आयोजक भोले बाबा की भूमिका के सम्बंध में एसआईटी की खामोशी भी लोगों में चिन्ताओं का कारण। साथ ही, उसके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई के बजाय उसे क्लीनचिट देने का प्रयास खासा चर्चा का विषय। सरकार जरूर ध्यान दे ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृति न हो। 2/2
— Mayawati (@Mayawati) July 10, 2024
मायावती ने कहा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि हाथरस में भगदड़ के दौरान 121 निर्दोष महिलाओं और बच्चों की मौत सरकार की लापरवाही का जीता- जागता प्रमाण है . वहीं बसपा सुप्रीमो ने कहा कि एसआईटी की रिपोर्ट राजनीति से प्रेरित लगती है.
1. यूपी के ज़िला हाथरस में सत्संग भगदड़ काण्ड में हुई 121 निर्दोष महिलाओं व बच्चों आदि की दर्दनाक मौत सरकारी लापरवाही का जीता-जागता प्रमाण, किन्तु एसआईटी द्वारा सरकार को पेश रिपोर्ट घटना की गंभीरता के हिसाब से नहीं होकर राजनीति से प्रेरित ज्यादा लगती है, यह अति-दुःखद। 1/2
— Mayawati (@Mayawati) July 10, 2024
अफसरों पर गिरी गाज
एसआईटी की रिपोर्ट में स्थानीय एसडीएम, सर्किल अधिकारी, तहसीलदार, इंस्पेक्टर और चौकी प्रभारी पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया. वहीं सरकार ने तुरंत एक्शन लेते हुए एसडीएम, एक सर्किल अधिकारी और चार अन्य को निलंबित कर दिया. बता दें एसआईटी ने कई सत्संग के आयोजकों को भी दोषी बताया है. लेकिन
क्या है मामला?
2 जुलाई को हाथरस में बाबा सूरजापाल जाटव के सत्संग के दौरान भगदड़ मच गई. इस घटना में 121 लोगों की मौत हो गई. बताया जा रहा है कि बाबा के अनुयायी उन्हें परमात्मा की उपाधि देते हैं. उनके चरणों की रज और सत्संग में प्रसाद के रूप में मिलने वाले पानी को चमत्कारी मानते हैं. यही कारण था जब बाबा सत्संग के बाद वापस जा रहे थे तो लोगों में उनके पैर छूने और चरणों की रज लेने के लिए होड़ लग गई. खेतों में पानी भरा होने के कारण कई लोग उसमें फंस गए. एक के बाद एक लोग ऊपर गिरते गए. इस हादसे में मारे जाने वालों में सबसे ज्यादा महिलाएं और बच्चे हैं.
ये भी पढ़े- लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर भीषण सड़क हादसा, 18 लोगों की मौत, 20 घायल
ये भी पढे- 7 राज्यों की 13 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव आज, 13 जुलाई को आएंगे नतीजे
कमेंट