छतरपुर: छतरपुर नगर की हवा में जहर घोलने की साजिश क्या सोच समझकर रची गई थी. सिटी कोतवाली पर जिस तरह से पत्थर बाजी की गई है इससे यही साबित होता है. बीच सड़क पर इतनी अधिक मात्रा में पत्थर कहां से आए. बच्चों को जुलूस में सबसे आगे क्यों किया गया. उनके हाथ में चाकू कहां से आए. यह सबसे बड़ा सवाल है. मुस्लिम समाज ने सिटी कोतवाली के घेराव का वही समय क्यों तय किया जब दलित संगठनों द्वारा पूर्व घोषित आंदोलन किया जा रहा था. इन सवालों का जवाब जिला और पुलिस प्रशासन को देना चाहिए. हमारा खुफिया तंत्र क्या कर रहा था. आज से 44 साल पहले 26 जुलाई 1980 को भी सिटी कोतवाली पर पथराव किया गया था, लेकिन वह मामला एक थानेदार द्वारा किए गए बलात्कार को लेकर जन आक्रोश का नतीजा था. आज तो ऐसे कोई हालात नहीं थे. प्रत्येक व्यक्ति प्रत्येक समाज और संगठन को आंदोलन तथा विरोध प्रदर्शन का संवैधानिक अधिकार है.
यदि पैगम्बर मुहम्मद साहब के विरुद्ध कोई टिप्पणी की गई थी तो शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करना जायज ठहराया जाता. लेकिन जब शहर में एक आंदोलन पहले से चल रहा है और समूचा प्रशासन कानून व्यवस्था बनाए रखने में जुटा हुआ था , उसी समय मुस्लिम समाज ने सिटी कोतवाली का घेराव क्यों किया. दो घंटे बाद भी विरोध प्रदर्शन किया जा सकता था. क्या यह किसी सोची समझी रणनीति का हिस्सा था. यदि ऐसा नहीं है तो इतनी बड़ी तादाद में पत्थर कहां से आए. बच्चों के हाथों में चाकू किसने थमाए.इन तथ्यों की गंभीरता से जांच के अलावा पत्थर बाजी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई प्रारंभ हो गई है .उन चेहरों को बेनकाब करने के लिए व शहर की फिजा में जहर घोलने वाले अपराधियों के आलीशान मकानों पर मोहन सरकार का बुलडोजर चलाने का फरमान जारी हो गया हैं. छतरपुर में सिटी कोतवाली पर पथराव मामले में सीएम डॉ मोहन यादव के निर्देश के बाद पुलिस कड़ा एक्शन ले रहीं है गुरूवार को पुलिस ने इस प्रकरण में 46 नामजद और डेढ़ सौ अज्ञात लोगों पर एफआईआर दर्ज की है. इसके साथ ही पथराव करने वाले हाजी शहजाद अली के आलीशान मकान पर बुलडोजर चलवाकर उसे तोड़ने की कार्यवाही गुरूवार को सुबह 11 बजे से चल रही हैं.
बीती बुधवार की रात जिला प्रशासन ने एक बड़ी कार्यवाही के लिए कसरत कर ली थी साथ ही मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डाक्टर मोहन यादव सरकार के दिशा निर्देशन में नगर पालिका छतरपुर, राजस्व अमला और पुलिस की टीम ने इस बडी कार्यवाही को अंजाम देते हुए हाजी शहजाद अली के आलीशान मकान पर बुलडोजर चलाते हुए प्रदर्शनकारियों को एक बडा संदेश दे दिया है. फिलहाल कैमरे के सामने कोई जिम्मेदार अधिकारी आगे की रणनीति और होने वाली कार्यवाही के संबंध में कुछ भी कहने से बच रहा है. एसडीओपी डाक्टर सलिल शर्मा और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विक्रम सिंह से मीडिया कर्मियों द्वारा सवाल करने पर औपचारिक जानकारी देने से पल्ला झाड लिया है. मौके पर मौजूद राजस्व अधिकारियों का कहना है कि हमला करने वाले असामाजिक तत्वों के संबंध में जानकारी जुटाई जा रही है. राजस्व और नगर पालिका छतरपुर ऐसे अन्य अतिक्रमणकारियों को चिन्हित करेंगे जिनके मकान अवैध तरीके से नियमों को तांक पर रखकर बनाए गए है. सूत्रों की माने तो हाजी शहजाद अली के आलीशान मकान पर जिस तरह तीन-तीन बुलडोजर चलाए गए है, और लाखों कीमत की सफारी, इनोबा सहित अन्य मकान के गैरेज में रखी कारों को भी बुलडोजर से कुचल दिया है. उसी प्रकार और भी उपद्रव करने वालों के मकान जमींदोज करने की कार्यवाही हो सकती है.
गौरतलब है कि प्रशासन से पंगा लेने वाले प्रदर्शनकारियों में हडकंप की स्थिति है. गुरूवार को लगभग एक सैकड़ा से अधिक पुलिसकर्मी थाना प्रभारी, डीएसपी के अपर कलेक्टर मिलिंद नागदेवे, एसडीएम, तहसीलदार, राजस्व अमला के अलावा नगर पालिका सीएमओ व अधीनस्थ अमला कार्यवाही में संलग्न रहा है. मोहन सरकार के एक्शन में आने के बाद जिला प्रशासन के आला अफसर डीआईजी ललित शाक्यवार, कलेक्टर पार्थ जैसवाल, पुलिस अधीक्षक अगम जैन के निर्देशन में बडी कार्रवाई जारी है.
फैसला सुप्रीम कोर्ट का तो विरोध केंद्र सरकार का क्यों?
एससी, एसटी वर्ग को भी अपनी मांगों के लिए आंदोलन करने का पूरा अधिकार है लेकिन आंदोलन की जो रणनीति तैयार की गई वह सकल समाज के लिए विभाजनकारी राजनीति का हिस्सा है. आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आया है उसके खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की जा सकती थी लेकिन भारत बंद आंदोलन के नाम पर तथाकथित देश विरोधी ताकतों ने दलितों को गुमराह कर डाला. आंदोलन के नाम पर तोड़फोड़ए मारपीटए हमला. ये सब क्या है. इस आंदोलन में शामिल जिन लोगों ने जबरदस्ती दुकानें बंद कराईंए दुकानदारों से दुर्व्यवहार कियाए दुकानों में तोड़फोड़ की. ऐसे लोगों की पहचान कर उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कर नुकसान की भरपाई उन्हीं से की जाए ताकि भविष्य में इस प्रकार की दुर्घटनाओं को रोका जा सके.
इसके पहले भी दलित समाज सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ आंदोलन कर चुके हैं. तब भी आंदोलन के नाम पर खुलकर गुंडागर्दी की गई थी. आखिर इस प्रकार की हरकतों से क्या हासिल होगा. सवर्ण समाज से वैमनस्यता की खाई और गहरी होती जाएगी. बहरहाल छतरपुर नगर लगातार तीन घंटे तक दहशत और आतंक के साए में सांसें लेता रहा जो अत्यंत दुखदाई और शर्मनाक है. सिटी कोतवाली में किए गए पथराव से घायल हुए टीआई अरविंद कुजूर एवं अन्य पुलिसकर्मियों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना सहित. आज इतना ही.
हिन्दुस्थान समाचार
कमेंट