नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के विकास की अनदेखी करने और गरीबी हटाओ के केवल नारे लगाने को लेकर पिछली सरकारों पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि 2014 से वह ग्रामीण भारत की सेवा में जुटे हैं और उसी का परिणाम है कि आज ग्रामीण भारत में ग्रामीण गरीबी 5 प्रतिशत से नीचे आ गयी है.
Our vision is to empower rural India by transforming villages into vibrant centres of growth and opportunity. Addressing the Grameen Bharat Mahotsav in Delhi. https://t.co/XZ20St4QX9
— Narendra Modi (@narendramodi) January 4, 2025
प्रधानमंत्री ने नई दिल्ली के भारत मंडपम में शनिवार को ग्रामीण भारत महोत्सव-2025 के उद्घाटन के बाद कहा कि ग्रामीण भारत महोत्सव के साथ वर्ष की शानदार शुरुआत भारत की विकास यात्रा को दर्शाती है और एक विशिष्ट पहचान बनाती है. प्रधानमंत्री ने इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) और अन्य योगदानकर्ताओं को बधाई दी. प्रधानमंत्री ने एसबीआई की ताजा शोध रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि कल ही स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की रिपोर्ट आई है, जिसके अनुसार 2012 में भारत में ग्रामीण गरीबी करीब 26 प्रतिशत थी. जबकि 2024 में ग्रामीण गरीबी घटकर 5 प्रतिशत से भी कम हो गई है.
कांग्रेस के गरीबी हटाओ के नारे पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि सालों से गरीबी हटाओ के नारे सुनाई देते रहे लेकिन अब वास्तव में गरीबी कम हो गई है. मोदी ने कहा कि पहले की सरकारों ने एससी-एसटी-ओबीसी की आवश्यकताओं की ओर ध्यान नहीं दिया. गांव से पलायन होता रहा, गरीबी बढ़ती रही, गांव और शहर के बीच की खाई बढ़ती रही. जिन्हें किसी ने नहीं पूछा, उन्हें मोदी ने पूजा है. जो इलाके दशकों से विकास से वंचित थे, अब उन्हें बराबरी का हक मिल रहा है. उन्होंने कहा, “ये सब काम (गांवों को सशक्त बनाने का) पहले की सरकारों में भी तो हो सकते थे…मोदी का इंतजार करना पड़ा क्या? आज़ादी के दशकों बाद भी हमारे देश के गांव बुनियादी ज़रूरतों से वंचित थे. अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ी जातियों की ज़्यादातर आबादी गांवों में रहती है. दुर्भाग्य से पिछली सरकारों ने उनकी ज़रूरतों को नज़रअंदाज़ किया लेकिन मोदी इन गांवों को सशक्त बना रहे हैं और उन पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं जो पहले उपेक्षित थे.”
उन्होंने कहा कि वह 2014 से ग्रामीण भारत की सेवा में लगे हैं. गांव के लोगों को गरिमापूर्ण जीवन देना सरकार की प्राथमिकता है. हमारा लक्ष्य गांवों को विकास और अवसर के जीवंत केंद्रों में बदलकर ग्रामीण भारत को सशक्त बनाना है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि पीएम-किसान योजना के तहत किसानों को 3 लाख करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दी गई है. पिछले 10 वर्षों में कृषि ऋण 3.5 गुना बढ़ाया गया है. देश में तीन करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य रखा गया है और अब तक 1.15 करोड़ ग्रामीण महिलाएं ‘लखपति दीदी’ बन चुकी हैं. हमारा विजन भारत के गांव के लोग सशक्त बनें, उन्हें गांव में ही आगे बढ़ने के ज्यादा से ज्यादा अवसर मिले, उन्हें पलायन न करना पड़े, गांव के लोगों का जीवन आसान हो, इसलिए हमने गांव-गांव में मूलभूत सुविधाओं की गारंटी का अभियान चलाया. गांव के हर वर्ग के लिए विशेष नीतियां बनाई हैं.
प्रधानमंत्री ने कहा कि दो-तीन दिन पहले ही कैबिनेट ने ‘पीएम फसल बीमा योजना’ को एक वर्ष अधिक तक जारी रखने की मंजूरी दे दी है. दुनिया में डीएपी का दाम बढ़ रहा है, आसमान छू रहा है, लेकिन हमने निर्णय किया कि हम किसान के सिर पर बोझ नहीं आने देंगे और हमने सब्सिडी बढ़ाकर डीएपी का दाम स्थिर रखा है. हमारी सरकार की नीयत, नीति और निर्णय ग्रामीण भारत को नई ऊर्जा से भर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कृषि के अलावा भी हमारे गांव में अलग-अलग तरह के पारंपरिक कला और कौशल से जुड़े हुए कितने ही लोग काम करते हैं. रूरल इकोनॉमी और लोकल इकोनॉमी में इनका बड़ा योगदान रहा है, लेकिन पहले इनकी भी उपेक्षा हुई. अब हम उनके लिए पीएम विश्वकर्मा योजना चला रहा हैं. ये योजना देश के लाखों विश्वकर्मा साथियों को आगे बढ़ने का मौका दे रही है.
हिन्दुस्थान समाचार
यह भी पढ़ें – Manipur: कांगपोकपी में सुरक्षाबलों का एक्शन, हथियार और गोला-बारूद बरामद
यह भी पढ़ें – Mahakumbh 2025: श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए रेलवे ट्रैक पर विशेष सुरक्षा अभियान
कमेंट