Delhi Election 2025: दिल्ली शराब नीति को लेकर शनिवार को नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट के हवाले से भारतीय जनता पार्टी ने बड़े घपले का दावा किया. भाजपा के अनुसार इस रिपोर्ट पर दस खामियां पाई गई हैं. भाजपा ने दावा किया कि इससे सरकारी खजाने को 2,026 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने आम आदमी पार्टी पर निशाना साधते हुए इसे आप-दा का लूट का मॉडल बताया.
शनिवार को जे पी नड्डा ने ट्वीट करके कहा कि अरविंद केजरीवाल सत्ता के नशे में चूर, कुशासन में मस्त हैं.आपदा का लूट का मॉडल पूरी तरह से सामने आया और वह भी शराब जैसी चीज पर.
Intoxicated by power, high on misgovernance.
‘AAP’DA model of loot in full display and that too on something like liquor.
Just a matter of a few weeks before they are voted out and punished for their misdeeds.
CAG Report on ‘Liquorgate’ exposes @ArvindKejriwal and…
— Jagat Prakash Nadda (@JPNadda) January 11, 2025
उन्होंने कहा कि बस कुछ ही हफ्तों की बात है, जब उन्हें दिल्ली के लोग सत्ता से बाहर कर देंगे और उनके कुकर्मों के लिए दंडित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि शराबबंदी’ पर सीएजी रिपोर्ट ने अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी सरकार को बेनकाब किया.
नीति कार्यान्वयन में जानबूझकर की गई ‘चूक’ राजकोष को 2026 करोड़ रुपये का नुकसान किया है. यह कैग की रिपोर्ट कह रही है.
उल्लेखनीय है कि दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार ने नवंबर 2021 में नई शराब नीति लागू की थी. AAP ने कहा था कि इसका लक्ष्य शराब की खुदरा बिक्री को बेहतर बनाना और राजस्व बढ़ाना है. भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगे तो मामले की जांच ईडी और सीबीआई ने की। इस मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और संजय सिंह समेत AAP के कई नेताओं को जेल जाना पड़ा.
कैग (CAG) ने बताया है कि शिकायतों के बाद भी सभी कंपनियों को बोली लगाने की अनुमति दी गई. उनकी वित्तीय स्थिति की जांच नहीं की गई. घाटा बताने वाली कंपनियों को भी बोली लगाने दिया गया. उनके लाइसेंस रिन्यू कर दिए गए. नई शराब नीति से संबंधित प्रमुख फैसले कैबिनेट या उपराज्यपाल की मंजूरी के बिना लिये गए. नए नियमों को विधानसभा में पेश नहीं किया गया.
रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ खुदरा विक्रेताओं ने नीति की समाप्ति तक अपने लाइसेंस बनाए रखे. कुछ ने अवधि समाप्त होने से पहले ही उन्हें सरेंडर कर दिया. सरेंडर किए गए खुदरा लाइसेंसों के फिर से टेंडर न किए जाने के कारण सरकार को 890 करोड़ रुपये का घाटा हुआ. क्षेत्रीय लाइसेंसधारियों को दी गई छूट के कारण 941 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. इसके अलावा कोविड प्रतिबंधों के नाम पर क्षेत्रीय लाइसेंसधारियों के लिए लाइसेंस शुल्क में 144 करोड़ रुपये की छूट दी गई.
साभार – हिंदुस्थान समाचार
कमेंट