अफगानिस्तान में तालिबान सरकार की क्रूरता और महिलाओं के प्रति अत्याचार लगातार बढ़ते जा रहे हैं. वहां महिलाओं को स्वतंत्रता को छिन लेने वाले ऐसे न जाने कितने ही कानून बनाए जा चुके हैं. हाल ही में तालिबान की तरफ से महिलाओं द्वारा कार्यरत एकमात्र रेडियो स्टेशन बंद कर दिया गया है. हालांकि ये बात भी हैरान कर रही हैं कि उनकी नजरों से बचकर ये स्टेशन इतने समय तक कैसे काम करता रहा?
बता दें कि हाल ही में तालिबान की ही सूचना और तहजीब मिनिस्ट्री की तरफ से रेडियो बेगम नामक इस स्टेशन के खिलाफ आरोप लगाये गये थे. इसमें कहा गया था कि इसने सरकार के नियमों का उल्लंघन किया है और लंबे वक्त तक विदेशी सहयोग से एक उन्हीं के टेलीविज़न नेटवर्क की मदद से काम कर रहा था. सरकार की तरफ से कहा गया कि इसके विदेशी कनेक्शन की जांच की जाएगी और तब तक यह स्टेशन बंद रहेगा. इसके ठीक बाद वहां काम करने वाली महिलाओं को भी हिरासत में ले लिया गया.
रेडियो बेगम में काम करने वाली महिलाओं के बयान के मुताबिक तालिबान के खुफिटा गुटों ने महिला और पुरुष कर्मचारियों के कंप्यूटर, हार्ड ड्राइव और बाकी डॉक्यूमेंट्स को भी छीन लिया गया है. इस मामले पर सीपेज एशिया प्रोग्राम कोर्डिनेटर बेह ली याई के मुताबिक रेडियो को जबरन बंद कर देना सीधे तौर पर अफगानिस्तान की महिला अधिकारों का उल्लंघन है. ऐसे संगठन जिन्हें महिलाएं चला रही हैं वो खासतौर पर तालिबान के निशाने पर रहती हैं.
हालांकि यह तालिबान की सनक का कोई पहला मामला नहीं है इससे पहले भी साल 2023 में तालिबान ने महिलाओं द्वारा चर रहे रेडियो स्टेशन को इसलिए बंद कर दिया था क्योंकि वह रमजान में म्यूजिक बजा रही थीं. सीएनएन के मुताबिक 4 फरवरी को रेडियो बेगम पर बेन लगाया था. इससे पहले वहां अफगानिस्तान के हिस्सों में रेडियों शिक्षा, स्वास्थ्य, मनोविज्ञान और अध्यात्मिक विषयो से जुड़े कार्यक्रम प्रसारित किए जा रहे है.
तालिबान मुस्लिम महिलाओं को सार्वजनिक रूप से पूरी तरह से हटा चुका है. जहां एक तरफ उनके बुनियादी अधिकार छीन लिए गए हैं तो वहीं उन्हें अशिक्षा और बाल विवाह जैसी खाइयों में धकेल दिया गया है.
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