पिछले कुछ समय से ग्लोबलाइज्ड समाज में प्यार भी ग्लोबल ट्रेंड हो गया है. आज जहां इजहार और इकरार करने के तौर- तरीके बदल गए हैं, वहीं इंटरनेट के मौजूदा दौर में प्यार भी बाजारू हो चला है. प्यार का यह उत्सव एक बड़े बाजार को गिरफ्त में ले चुका है. हर जगह वैलेंटाइन की संस्कृति पसरती जा रही है. शहर से लेकर कस्बों तक यह तेजी से फैल चुका है.
वैलेंटाइन के सम्बन्ध में कई किस्से प्रचलित हैं. रोमन कैथोलिक चर्च की मानें तो यह “वैलेंटाइन “अथवा “वलेंतिनस” नाम के तीन लोगों को मान्यता देता है जिसमें से दो के सम्बन्ध वैलेंटाइन डे से जोड़े जाते हैं लेकिन बताया जाता है इन दो में से भी संत वैलेंटाइन खास चर्चा में रहे. कहा जाता है संत वैलेंटाइन प्राचीन रोम में एक धर्मगुरू थे. उन दिनों वहां क्लाउडियस दो का शासन था. उसका मानना था अविवाहित युवक बेहतर सैनिक हो सकते हैं क्योंकि युद्ध के मैदान में उन्हें अपनी पत्नी या बच्चों की चिंता नहीं सताती. अपनी इस मान्यता के कारण उसने तत्कालीन रोम में युवकों के विवाह पर प्रतिबंध लगा दिया.
किन्दवंतियों की मानें तो संत वैलेंटाइन ने क्लाउडियस के इस फैसले का विरोध करने का फैसला किया. बताया जाता है कि वैलेंटाइन ने इस दौरान कई युवक-युवतियों का प्रेम विवाह करा दिया. यह बात जब राजा को पता चली तो उसने संत वैलेंटाइन को 14 फरवरी को फाँसी की सजा दे दी. कहा जाता है संत के इस त्याग के कारण हर साल 14 फरवरी को उनकी याद में युवा “वैलेंटाइन डे” मनाते हैं. 1260 में संकलित की गई ‘ऑरिया ऑफ जैकोबस डी वॉराजिन’ नामक पुस्तक में भी सेंट वेलेंटाइन का वर्णन मिलता है. इसके अनुसार रोम में तीसरी शताब्दी में सम्राट क्लॉडियस के अनुसार विवाह करने से पुरुषों की शक्ति और बुद्धि कम होती है. उसने फरमान जारी किया कि उसका कोई सैनिक या अधिकारी विवाह नहीं करेगा. संत वेलेंटाइन ने इस क्रूर आदेश का विरोध किया. उन्हीं के आह्वान पर अनेक सैनिकों और अधिकारियों ने विवाह किए.
कैथोलिक चर्च की एक अन्य मान्यता के अनुसार एक दूसरे संत वैलेंटाइन की मौत प्राचीन रोम में ईसाइयों पर हो रहे अत्याचारों से उन्हें बचाने के दरम्यान हो गई. इस पर नई मान्यता यह है कि ईसाइयों के प्रेम का प्रतीक मानें जाने वाले इस संत की याद में ही वैलेंटाइन डे मनाया जाता है. एक अन्य किंदवंती के अनुसार वैलेंटाइन नाम के एक शख्स ने अपनी मौत से पहले अपनी प्रेमिका को पहला वैलेंटाइन संदेश भेजा जो एक प्रेम पत्र था. उसकी प्रेमिका उसी जेल के जेलर की पुत्री थी जहाँ उसको बंद किया गया था. उस वेलेंनटाइन नाम के शख्स ने प्रेम पत्र लिखा ” फ्रॉम यूअर वेलेंनटाइन।” आज भी यह वैलेंटाइन पर लिखे जाने वाले हर पत्र के नीचे लिखा रहता है. क्लॉडियस ने 14 फरवरी को संत वेलेंटाइन को फांसी पर चढ़वा दिया. तब से उनकी स्मृति में प्रेम दिवस मनाया जाता है. कहा जाता है कि सेंट वेलेंटाइन ने अपनी मृत्यु के समय जेलर की नेत्रहीन बेटी जैकोबस को नेत्रदान किया व जेकोबस को एक पत्र लिखा, जिसमें अंत में उन्होंने लिखा था ‘तुम्हारा वेलेंटाइन.’ 14 फरवरी के बहाने इस संत के नाम पर पूरे विश्व में यह दिवस मनाया जाने लगा.
आज युवाओं में वैलेंटाइन की खुमारी सिर चढ़कर बोल रही है. इस दिन के लिए सभी पलकें बिछाये बैठे रहते हैं. इसे प्यार के इजहार का दिन बताते हैं लेकिन युवक-युवतियां प्यार की सही परिभाषा नहीं जान पाये हैं. वह इस बात को नहीं समझ पा रहे कि प्यार को आप एक दिन के लिए नहीं बांध सकते. वह तो प्यार को हंसी-मजाक का खेल समझ रहे हैं. आज का प्यार नूडल जैसा बाजारू बन गया है जो दो मिनट चलता है. आज के बाजार ने प्यार की परिभाषा बदल दी है. इसका प्रभाव यह है 14 फरवरी को प्रेम दिवस का रूप दे दिया गया है जिसके चलते संसार भर के कपल प्यार का इजहार करने को उत्सुक रहते हैं.
जहां चीन में यह दिन ‘नाइट्स ऑफ सेवेन्स’ प्यार करने वालों के लिए खास होता है, वहीं जापान व कोरिया में इस पर्व को ‘वाइट डे’ का नाम से जाना जाता है. इन देशों में इस दिन से पूरे एक महीने तक लोग अपने प्यार का इजहार करते हैं. आज 14 फरवरी का कितना महत्व बढ़ गया है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है इस अवसर पर बाजारों में खासी रौनक होती है. गिफ्ट सेंटर में उमड़ने वाली भीड़, चहल-पहल इस बात को बताने के लिए काफी है यह किस प्रकार युवाओं के दिलों में उतर चुका है.
यूं तो हमारी संस्कृति में प्रेम को परमात्मा का दूसरा रूप बताया गया है अतः प्रेम करना गुनाह और प्रेम का विरोधी होना सही नहीं होगा लेकिन वैलेंटाइन के नाम पर जिस तरह का पश्चिमपरस्ती का विस्तार हो रहा है वह सही नहीं है। वैसे भी यह प्रेम का तरीका भारतीय जीवन मूल्यों से मेल नहीं खाता. आज का वैलेंटाइन डे भारतीय काव्य शास्र में बताये गए मदनोत्सव का पश्चिमी संस्करण प्रतीत होता है. सवाल यह है कि क्या आप प्रेम जैसी चीज को एक दिन के लिए बांध सकते हैं? शायद नहीं. आज लोग प्यार के चक्कर में बर्बाद हो रहे हैं. हीर-रांझा, लैला-मजनूं, रोमियो-जूलियट के प्रसंगों का हवाला देने वाले हमारे आज के प्रेमी यह भूल जाते हैं कि मीरा वाला प्रेम सच्ची आत्मा से सम्बन्ध रखता था. आज प्यार बाहरी आकर्षण की चीज बनती जा रही है. प्यार को गिफ्ट और पॉकेट में तौला जाने लगा है. वैलेंटाइन के प्रेम में फंसने वाले कुछ युवा सफल तो कुछ असफल साबित होते है. जो असफल हो गए तो समझो बर्बाद हो गए क्योंकि यह प्रेम रूपी “बग” बड़ा खतरनाक है, एक बार अगर इसकी जकड़ में आप आ गए तो भविष्य में भी पीछा नहीं छोड़ेगा.
वैलेंटाइन के नाम पर आज समाज में जिस तरह की उद्दंडता हो रही है, वह चिंतनीय है. संपन्न तबके साथ आज का मध्यम वर्ग और निम्न तबका इसके मकड़जाल में फंसकर अपना पैसा और समय दोनों खराब कर रहे हैं. आज वैलेंटाइन की स्टाइल बदल गई है. गुलाब गिफ्ट दिए, नशे में पार्टी में थिरके बिना काम नहीं चलता. यह मनाने के लिए आपकी जेब गर्म होनी चाहिए.
आज की युवा पीढ़ी को न तो प्रेम की गहराई का अहसास है न ही वह सच्चे प्रेम को परिभाषित कर सकती है. उनके लिए प्यार मौज-मस्ती और सैर-सपाटे का खेल बन गया है. जहाँ बाजार में प्यार नीलाम हो गया है और पूरे विश्व में इस दिन प्यार के नाम पर मुनाफे का बड़ा कारोबार किया जा रहा है.
(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)
हिन्दुस्थान समाचार
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