Veer Savarkar Death Anniversary: जिस आजादी को हम आज जी और महसूस कर पा रहे हैं वो हमारे देश को यूं ही नहीं मिल गई. इसके लिए हमारे स्वातंत्रता सेनानियों ने न केवल अपना सर्वस्व हंसते-हंसते न्योछावर कर दिया बल्कि अपनी जान की भी बाजी लगा दी. इन्हीं नामों में से एक नाम महान क्रांतिकारी वीर सावरकर का है जिन्होंने भारत को स्वतंत्र कराने में विशेष योगदान दिया है. आज वीर सावरकर की पुण्यतिथि के मौके पर उनके संघर्ष के बारे में बताने जा रहे हैं.
वीर सावरकर में बचपन से थी स्वराष्ट्र की भावना
वीर सावरकर का पूरा नाम विनायक दामोदर सावरकर था वे स्वतंत्रता सेनानी के साथ-साथ राजनीतिज्ञ, वकील, लेखक, समाज सुधाकर और कट्टर हिंदुत्व के समर्थक थे. वीर सावरकर का जन्म 28 मई 1883 को महाराष्ट्र के नासिक जिले के भगूर गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनके पिता दामोदर सावरकर और मां राधाबाई सावरकर थी, बचपन से ही वीर सावरकर के भारत को स्वतंत्र देखने की भूख जागृत हो गई थी. शिक्षा की बात करें तो पुणे के फर्ग्यूसन कॉलेज से उन्होंने शिक्षा ली उसके बाद में क़ानून की पढ़ाई के लिए वे लंदन चले गए.
वीर सावरकर का लेखन
वीर सावरकर यूनाइटिड किंगडम गए और इंडिया हाउस व फ्री सोसाइटी जैसे संगठनों से जुड़े रहे. उन्होंने अभिनव सोसाइटी नाम से भी एक सोसाइटी की स्थापना की साथ ही साल 1937 से लेकर 1043 तक वो हिंदू महासभा के अध्यक्ष के पद पर भी रहे. इसके साथ ही सावरकर ने ‘द हिस्ट्री ऑफ द वार ऑफ इंडियन इंडिपेंडेंस’ नामक एक किताब भी लिखी जिसमें सिपाही विद्रोह के छापामार युद्ध में प्रयोग किए जाने वाले तरीकों को डीटेल में बताया है. इसके अलावा ‘हिंदुत्व: हिंदू कौन है?’ नाम की भी एक पुस्तक लिखी.
वीर सावरकर ने अपना पूरा जीवन भारत की स्वतंत्र भारत के लिए लड़ाई लड़ी इसके अलावा कई स्तर पर लोगों को देशभक्ति के भावना से भरने का काम किया. 8 नवंबर को वीर सावरकर की पत्नी यमुनाबाई सावरकर का निधन हो गया. वहीं बाद में 1 फरवरी 1966 में सावरकर ने अन्न और जल का त्याग कर दिया और प्रायोपवेश (इच्छा मृत्यु) को अपनाया. 26 फरवरी को 1966 में मुंबई में उन्होंने आखिरी सांस ली.
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