भारत में धार्मिक पर्यटन लगातार फल-फूल रहा है. पिछले एक दशक में देशभर के कोने-कोने में स्थित मंदिरों का पुर्न: विकास और सौंदर्यकरण किया गया है. जिसकी वजह से इन स्थलों पर न केवल घरेलु श्रद्धालु बल्कि विदेशी सैलानी भी बड़ी संख्या में पहुंचने लगे है. इससे इन धार्मिक क्षेत्रों को एक वैश्विक पहचान तो मिली ही. यहां की इकोनॉमी को विकास के नए पंख लग गए है.
अयोध्या के राम मंदिर को लेकर एक खबर आई है कि मंदिर ट्रस्ट ने 400 करोड़ रूपये से ज्यादा का टैक्स भरा है. सिर्फ राम मंदिर ही नहीं देश के अन्य मंदिरों जैसे काशी- विश्वनाथ, माता वैष्णो देवी, तिरूपति बालाजी, जगन्ननाथ पुरी में भी लोग खूब दान पुण्य कर रहे है. सिर्फ यही नहीं कई ऐसे मंदिर हैं जो देश इन मंदिरों से भी प्रतिवर्ष करोड़ों रूपये सरकार के खजाने में जाते हैं. जिससे देश के विकास के साथ-साथ जनकल्याण की योजनाओं में भी इस्तेमाल होता है.
आंकड़े बताते हैं कि भारत की GDP में मंदिर की इकोनॉमी की हिस्सेदारी 2 प्रतिशत से ज्यादा है और इसका कारण है भारतीयों का धर्म और आस्था से जुड़े मामलों में दिल खोल कर खर्च करना. इससे लोगों की आस्था का सम्मान तो होता ही है. उन्हें अपनी संस्कृति और आध्यात्मिकता से जुड़ने का मौका भी मिलता है. साथ ही आर्थिक उन्नति के द्वार भी खुलते हैं. ऐसे ही धार्मिक स्थलों के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं.
राम मंदिर
500 सालों के इंतजार के बाद भगवान राम की नगरी अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनकर तैयार हुआ. 22 जनवरी 2024 को प्राण प्रतिष्ठा के बाद से ही यहां श्रद्धालुओं के आने का तांता लगा हुआ है. यहां हर रोज लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं. यहां चढावा इस कदर आता है कि ट्रस्ट ने जीएसटी समेत अन्य मद में करीब 400 करोड़ रुपए टैक्स के रूप में सरकार को दिया है. यह जानकारी ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने दी है.
राम मंदिर से अयोध्या की आधारभूत संरचना का विकास हुआ है. रेल-रोड और हवाई कनेक्टिविटी से अयोध्या नगरी जुड चुकी है. जिसकी वजह से श्रद्धालुओं का अयोध्या पहुंचना काफी सरल हो गया है. स्थानीय लोगों को अब रोजगार के लिए बड़ों शहरों का रूख नहीं करना पड़ता, उन्हें अपने ही क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध हो रहा है. जिसकी वजह से उनकी जीवन शैली में सुधार हो रहा है.
काशी विश्वनाथ
साल 2021 में भगवान भोले नाथ के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी विश्वनाथ मंदिर का कायाकल्प किया गया. काशी में 3 कॉरिडोर का निर्माण कर इसका विस्तार 3 हजार स्क्वायर फीट से बढ़ाकर 5 लाख स्क्वायर फीट में फैल गया है. अब मंदिर परिसर में 75 हजार श्रद्धालु आ सकते हैं. यह कॉरिडोर इतना खूबसूरत बनाया गया है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं का मन मंत्रमुग्ध हो जाता है.
वहीं धार्मिक पर्यटन बढ़ने की वजह बनारस में होटल उद्योग, खानपान, ट्रैवल इंडस्ट्री, परिवहन, हस्तशिल्प कला, पूजन सामग्री, नाविक और घाट से जुड़े अन्य व्यवसाय के लोगों के जीवन स्तर में काफी सकारात्मक बदलाव आ रहा है. इससे ना सिर्फ स्थानीय अर्थव्यवस्था ही मजबूत हो रही है बल्कि राष्ट्र स्तर पर भी अर्थव्यवस्था को बल मिल रहा है.
तिरूपति मंदिर
आंध्र प्रदेश में स्थित तिरूपति बालाजी मंदिर में भी रोजाना दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं. तिरूपति मंदिर ट्रस्ट इस साल 1.5 प्रतिशत जीएसटी का भुगतान कर रहा है. मंदिर इतना प्रसिद्ध है कि देश और विदेश से श्रद्धालु लगातार तिरूपति धाम आते हैं. जिसकी वजह से यह कि एक धार्मिक पर्यटन का केंद्र बनकर उभरा है. स्थानीय लोगों को रोजगार के नए अवसर मिले है.
माता वैष्णो देवी मंदिर
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के कटरा में स्थित माता वैष्णो देवी मंदिर में 12 महीने भक्तों का रैला लगा रहता है. यहां खच्चर माता के भवन तक पहुंचाने में सहायता करते हैं. वहीं हैली सेवाओं का भी यहां बिजनेस है. इसके साथ ही होटल उद्योग यहां काफी फलफूल रहा है. जम्मू के स्थानीय लोगों को यहां रोजगार के अवसर प्रदान होते हैं. जिसकी वजह से उनका घर अच्छे से चल पाता है.
जगन्नाथ पुरी मंदिर
देश के चार धामों में से एक ओडिशा के जगन्नाथ पुरी मंदिर में भी दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं. पर्यटन बढ़ने से स्थानीय लोगों को अपने ही क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध हुआ. यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में बेहतरीन सुधार देखा गया. यह स्थल नए भारत का नया ग्रोथ इंजन बनकर देश के आर्थिक विकास में अपना योगदान दे रहे हैं.
उत्तराखंड के चार धाम
उत्तराखंड के चार धाम केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री भी धार्मिक आस्था का केंद्र है. इन चारो धामों में रोजाना लाखों की संख्या में पर्यटक आते हैं. जिससे पहाड़ की अर्थव्यवस्था बूस्ट होती है. यहां के स्थानीय लोगों को बढ़ते पर्यटन से रोजगार उपलब्ध होता है. जिससे उनकी आजीविका अच्छे से चलती है.
आस्था से आर्थिक विकास का यह समंन्वय दुनिया में आर्थिक मोर्चे पर भारत की बढ़ती ताकत का परिचय है. 2014 से पहले देश में धार्मिक पर्यटन बहुत कम होता था लेकिन केंद्र में सरकार बदलने के बाद भारत की विरासत को फिर से समृद्ध कर इसे पर्यटन से जोड़ने का काम तेज गति से हुआ है. जिसकी वजह से देश की अर्थव्यवस्था और पर्यटन उद्योग मजबूत हो रहा है. जिसका परिणाम है कि आज भारत, विश्व की 5वीं सबसे बड़ी आर्थिक पावर बनकर उभरा है और आर्थिक विकास का यह सिलसिला लगातार जारी है.
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