विश्व गौरैया दिवस हर साल 20 मार्च को मनाया जाता है. यह दिवस गौरैया पक्षी के संरक्षण और उसके महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है.
गौरैया एक छोटा सा पक्षी है जो अपनी मधुर आवाज और रंगीन पंखों के लिए प्रसिद्ध है. पूरे विश्व में पाई जाने वाली इस पक्षी की कई प्रजातियाँ होती हैं. इसका वैज्ञानिक नाम पैसर डोमेस्टिकस (Passer Domesticus) है.
किसने की शुरुआत?
विश्व गौरैया दिवस की शुरुआत भारत की नेचर फ़ॉरएवर सोसइटी ने 2010 में की थी, जो अब वैश्विक स्तर पर जाना जाने लगा है.
विश्व गौरैया दिवस मनाने का उद्देश्य
लोगों को इस पक्षी के महत्व और उसके संरक्षण के बारे में जागरूक करना है.गौरैया के संरक्षण से न केवल इस पक्षी की संख्या बढ़ेगी, बल्कि यह पर्यावरण के संतुलन को भी बनाए रखने में मदद करेगा.
विश्व गौरैया दिवस 2025 का थीम
विश्व गौरैया दिवस 2025 की थीम “आई लव स्पैरो” है, जो लोगों को गौरैया के साथ अपने जुड़ाव को मजबूत करने और उनके प्रति प्रेम और सम्मान का जश्न मनाने के लिए प्रेरित करती है.
आइए 10 पॉइन्टस में जाने गौरैया की खासियत
1. पूरे विश्व में गौरेया की 43 प्रजातियां है, जिसमें से मूलभूत रुप से 24 प्रजातियां प्रमुख मानी जाती हैं.
2. गौरैया की औसत आयु 4 से 6 वर्ष होती है लेकिन अपवाद स्वरुप डेनमार्क में एक गौरैया की उम्र का विश्व रिकॉर्ड 19 वर्ष तक का है.
3. पिछले दशकों में गौरैया की संख्या में 60 से 80 प्रतिशत की कमी आई हैं. इनकी घटती संख्या को देखते हुए भारत में दिल्ली में 2012 और बिहार में 2013 में गौरैया को राज्य पक्षी का दर्जा दे दिया गया.
4. यह एक छोटा पक्षी है, जिसकी लम्बाई 16 सेंटीमीटर और वजन लगभग 25 से 60 ग्राम होता है. इनकेउड़ने की औसतन गति 35-50 किलोमिटर प्रति घंटा होती है.
5. चीन में 1950 के दशक में गौरैया के प्रति क्रूरता दिखाई गई थी, जब चीनी सरकार ने गौरैया को फसलों के लिए खतरा मानते हुए उनको मारने का आदेश दे दिया था. गौरैया के मारने के परिणामस्वरूप चीन में फसलों की पैदावार में वृद्धि हुई, किन इसके साथ ही कीटों की संख्या में भी वृद्धि हुई. गौरैया कीटों को खाती थी, जिससे फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों की संख्या कम रहती थी. इसके चलते चीन में बड़ा अनाज संकट आया. बाद में भारत से गौरैया को आयात करके चीन में छोड़ा गया.
6. यह साल में 3 से 4 बार अंडे देती हैं और इनके बच्चे 13 से 15 दिन में घोसले से बाहर निकल आते हैं. आपको बता दें कि गौरैया के बच्चों में ज्यादातर मादा का ही डीएनए ट्रांसफर होता है.
7. गौरैया की दृष्टि क्षमता वास्तव में अद्वितीय है. उनकी आंखों के रेटिना में प्रति वर्ग मिलीमीटर लगभग चार लाख फोटो रिसेप्टर्स होते हैं, जो प्रकाश को बेहतर ढंग से मस्तिष्क में पहुंचाने में मदद करते हैं.
8. इनकी कम होती संख्या का एक कारण मोबाइल टावर भी हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार, गौरैया के अंडे आमतौर पर 15 से 20 दिन में फूट जाते हैं और बच्चे पैदा होते हैं. लेकिन मोबाइल टावर के पास होने पर, गौरैया के अंडे 25 से 30 दिन तक सेने के बाद भी नहीं फूटते.
9. गौरैया को सामाजिक प्राणी कहा जाता है क्योंकि वे समूह में रहते हैं और एक दूसरे के साथ संवाद करते हैं. वे कॉलनी बनाकर रहते हैं, जिन्हें आमतौर पर पर झुंड के रूप में वर्णित किया जाता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि गौरैया वहीं रहती हैं जहां स्वस्थ इकोसिस्टम होता है.
10. इनके उड़ने की क्षमता जानकर आप आश्चर्यचकित रह जाएंगे कि गौरैया लगभग 10000 से 12000 फीट की उंचाई तक उड़ सकती हैं. यह देखकर वैज्ञानिकों में जिज्ञासा हुई कि 20000 फीट पर गौरैया के उड़ने की क्षमता में क्या बदलाव देखने को मिलेगा. जब ये शोध किया गया तो पता चला की गौरैया इतनी उंचाई पर भी सामान् रूप से उड़ रही थीं. केवल इनके शरीर का तापमान 2 डिग्री बढ़ गया था और इनकी सांस लेने की गति भी थोड़ी बढ़ी हुई थी.
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