प्रभु श्रीराम भारत की चेतना है. राम, भारत का चिंतन है. हिन्दुस्तान की आत्मा में भगवान श्रीराम बसते हैं. कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी और गुजरात से लेकर अरूणाचल तक भगवान राम पूजे जाते हैं. उन्हें समाज में आदर्श माना जाता है. स्वामी विवेकानंद ने विदेश में रामायण की प्रशंसा करते हुए उन्हें ‘भारत का सांस्कृतिक इतिहास’ बताया था. विवेकानंद के वे शब्द आज भी सार्थक लगते हैं. जरा सोचिए ऐसे मर्यादा पुरूषोतम प्रभु राम के अस्तित्व पर उनके देश में रहने वाले कुछ मुट्ठी भर लोग उंगली उठाएं. इससे बुरा दुर्भाग्य देश का क्या हो सकता है.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान सांसद राहुल गांधी ने फिर एक बार भगवान राम पर कुछ ऐसा कह दिया जिससे उनकी चौतरफा आलोचना हो रही है. दरअसल, राहुल गांधी अमेरिका के ब्राउन विश्वविद्यालय में वाटसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल एंड पब्लिक अफेयर्स द्वारा आयोजित एक संगोष्ठी में भाग लिया.
इस दौरान राहुल गांधी ने भगवान श्रीराम को ‘पौराणिक व्यक्ति’ बता दिया. जिसके बाद बीजेपी ने राहुल और कांग्रेस पार्टी पर राम विरोधी होने का आरोप लगाया है. बीजेपी का कहना है कि राहुल गांधी ने भगवान राम के अस्तित्व पर सवाल उठाकर देश की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है.
Rashtra Drohi Congress
Ab Ram Drohi CongressRahul Gandhi says Prabhu Ram is mythological or kalpanik
This is how and why they opposed Ram Mandir and even doubted existence of Prabhu Ram… pic.twitter.com/doyXugs8Jm
— Shehzad Jai Hind (Modi Ka Parivar) (@Shehzad_Ind) May 3, 2025
राहुल गांधी ने क्या कहा?
वाटसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल एंड पब्लिक अफेयर्स में आयोजित एक सेमिनार में राहुल गांधी से पूछा गया कि हिंदू राष्ट्रवाद के दौर में सभी समुदायों को शामिल करते हुए धर्मनिरपेक्ष राजनीति कैसे होनी चाहिए?
इसके जवाब में राहुल गांधी ने कहा, “हमारे पौराणिक पात्र, जैसे भगवान राम, दयालु और क्षमाशील थे. मैं बीजेपी की सोच को हिंदुत्व नहीं मानता. मेरे लिए असली हिंदू विचार बहुलतावादी, सहिष्णु, और प्रेमपूर्ण है.”
उन्होंने आगे कहा कि बीजेपी एक “फ्रिंज ग्रुप” है जिसने सत्ता और संसाधनों पर कब्जा कर लिया है, लेकिन यह भारत की मुख्यधारा की सोच का प्रतिनिधित्व नहीं करती. राहुल गांधी ने कहा कि भारत में कोई भी महान समाज सुधारक और राजनीतिक विचारक कट्टर नहीं रहा है और वह भाजपा द्वारा कही गई बात को हिंदू विचार नहीं मानते हैं.
राहुल के इस बयान के पूरे देश में उनकी आलोचना हो रही है. बीजेपी यहां उन्हें राम विरोधी और हिंदू विरोधी मानसिकता बताया है. अब उन्हें सार्वजनिक रूप से हिंदू धर्म से बहिष्कृत करने की मांग शुरू हो गई है.
राहुल गांधी को हिन्दू धर्म से बहिष्कृत करने की मांग
ज्योतिर्मठ शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने राहुल गांधी को सार्वजनिक रूप से हिंदू धर्म से बहिष्कृत करने की मांग की है. बद्रीनाथ स्थित शंकराचार्य आश्रम में पत्रकारों से बातचीत में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा, ”कुछ दिन पहले संसद में राहुल गांधी द्वारा मनुस्मृति को लेकर दिए गए बयान से सभी सनातन धर्मावलंबियों को ठेस पहुंची है.” इस संबंध में तीन महीने पहले उन्हें नोटिस भी भेजा गया था, जिसमें स्पष्टीकरण मांगा गया था. हालाँकि, उन्होंने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है और न ही माफ़ी मांगी है.
स्वामी अविमुक्तेश्वारनंद ने आगे कहा कि “यदि कोई व्यक्ति लगातार हिंदू धर्मग्रंथों का अपमान करता है और उनकी व्याख्या करने से इनकार करता है, तो उसे हिंदू धर्म में जगह नहीं दी जा सकती.”
इसके अलावा स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने यह भी कहा कि, ‘राहुल गांधी का मंदिरों में विरोध होना चाहिए और पुजारियों को उन्हें पूजा नहीं करानी चाहिए क्योंकि अब उन्हें खुद को हिंदू कहलाने का अधिकार नहीं है.’
बता दें ऐसा पहली बार नहीं है जब राहुल गांधी के बयानों को लेकर विवाद हुआ है, इससे पहले भी राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी सहित विपक्ष के नेताओं ने भगवान राम और हिन्दू समुदाय को लेकर कई बयान दे चुके हैं. जिससे हिन्दुओं की भावनाएं आहत हुई हैं.
राम सेतु के अस्तिव को लेकर SC में कांग्रेस ने दिया था हलफनामा
साल 2007 में यूपीए सरकार के दौरान, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया था, जिसमें राम सेतु के अस्तित्व पर संदेह जताया था. तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने हलफनामे में कहा था कि “ऐतिहासिक और वैज्ञानिक साक्ष्यों के अनुसार भगवान राम का कोई प्रमाण नहीं है.” वहीं राम एक पौराणिक पात्र हैं और रामसेतु का कोई ऐतिहासिक आधार नहीं है.” यह हलफनामा भारी विवाद में आया और हिंदू संगठनों ने इसे भगवान राम के अस्तित्व का अपमान बताया. इस हलफनामे ने व्यापक आक्रोश पैदा किया था, और बाद में सरकार ने इसे वापस ले लिया था.
राम मंदिर के कार्यक्रम का कांग्रेस ने किया था बहिष्कार
22 जनवरी 2024 को जब अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह हुआ था. उस वक्त भी कांग्रेस नेताओं ने इसका बहिष्कार किया था. राम मंदिर ट्रस्ट द्वारा न्यौता देने के बावजूद कांग्रेस का कोई भी नेता इस दिव्य समारोह में शामिल नहीं हुआ. कांग्रेस ने इसे “भाजपा-आरएसएस का कार्यक्रम” बताया था. जिसके बाद बीजेपी ने से कांग्रेस की हिंदू विरोधी और राम विरोधी बताया था.
शरद पवार की पार्टी के नेताओं ने भी राम को लेकर की थी टिप्पणी
शरद चंद्र पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता जितेंद्र आव्हाड ने भगवान श्री राम के खिलाफ इसी तरह का बयान देते हुए हिंदू आस्था पर हमला किया था. जितेंद्र आव्हाड ने कहा था, ‘हमारे राम मांसाहारी थे.’
राहुल गांधी ने विभिन्न मौके पर हिन्दुओं के खिलाफ ऐसे बयान दे चुके हैं. जिसके बाद देश में जमकर बवाल हुआ था. बीजेपी के विरोध के बावजूद राहुल गांधी कई बार हिन्दुओं के खिलाफ बयान दे चुके हैं. आइए जानते हैं.
राहुल ने लोकसभा में हिन्दुओं के खिलाफ दिया था बयान
राहुल गांधी ने लोकसभा में हिन्दुओं को लेकर बयान दिया था जिसमें उन्होंने पूरे हिन्दू समुदाय का अपमान किया था. राहुल गांधी ने अपने बयान में कहा था कि “हमारे सभी महापुरुषों ने अहिंसा और भय को खत्म करने की बात कही है लेकिन, जो हिन्दू होने की बात करते हैं वो हिंसा की बात करते हैं, नफरत की बात करते हैं, झूठ की बात करते हैं.” प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस बयान का विरोध करते हुए कहा कि, “पूरे हिन्दू समाज को हिंसक कहना बहुत गंभीर बात है.”
RSS और हिंदुत्व की विचारधारा पर टिप्पणी
राहुल गांधी ने कई मौकों पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और हिंदुत्व की विचारधारा की आलोचना की है. उन्होंने आरएसएस पर विभाजनकारी राजनीति करने का आरोप लगाया है. इतना ही नहीं उन्होंने आरएसएस को 21वीं सदी का कौरव बताया था.
राहुल गांधी ने हिन्दू शब्द को’ शक्ति’ से जोड़ा
साल 2024 में पार्टी की न्याय यात्रा के समापन में राहुल गांधी ने बयान दिया था. जिसमें उन्होंने कहा था कि “जिस शक्ति से हम लड़ रहे हैं, उसका नाम हिन्दू शब्द है, हिन्दू का मतलब होता है शक्ति. राहुल गांधी के इस बयान पर प्रधानमंत्री मोदी ने भी जबरदस्त हमला किया है. उन्होंने कहा, “मेरे लिए हर मां शक्ति का स्वरूप है..हर बेटी शक्ति स्वरुपा है. मैं माताओं बहनों की शक्ति के रूप में पूजा करता हूं. इस चुनौती को स्वीकार करता हूं और शक्ति स्वरुपा माताओं बहनों की रक्षा के लिए जान की बाजी लगा दूंगा.”
इन नेताओं ने हिंदू आतंकवाद शब्द का किया इस्तेमाल
“हिंदू आतंकवाद” शब्द का इस्तेमाल कुछ भारतीय राजनेताओं और मीडिया द्वारा किया गया है, हालांकि यह शब्द विवादित रहा है और कई लोगों ने इसका विरोध किया है. यहाँ कुछ उदाहरण दिए गए हैं.
पी. चिदंबरम: पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने 2010 में “भगवा आतंकवाद” शब्द का इस्तेमाल किया था, जिससे काफी विवाद हुआ था.
सुशील कुमार शिंदे: पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने भी कथित तौर पर “भगवा आतंकवाद” शब्द का इस्तेमाल किया था.
दिग्विजय सिंह: कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह पर भी इस शब्द का इस्तेमाल करने का आरोप लगा है.
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि “हिंदू आतंकवाद” शब्द का इस्तेमाल राजनीतिक रूप से संवेदनशील है और कई लोगों द्वारा इसे हिंदू समुदाय के प्रति अपमानजनक माना जाता है.
बहरहाल, राहुल गांधी और उनके जैसे अन्य नेता जो इस तरह के राम विरोध और हिन्दू विरोधी बयानबाजी कर रहे हैं. उससे हिन्दू समाज में आक्रोश है. अब हिन्दुओं के बढ़ते विरोध को रहते हुए कांग्रेस नेताओं को सजग रह जाना चाहिए. नहीं तो भविष्य में उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ सकती है.
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