22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है. दोनों देश के बीच युद्ध की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता. इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कई राज्यों को सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल कराने के निर्देश दिए हैं. यह मॉक ड्रिल 7 अप्रैल यानि बुधवार को होगी. बता दें देश के 244 जिलों को विशाल सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल के लिए चिन्हित किया गया है. 1971 के बाद यानि 54 साल बाद भारत में इस तरह की मॉक ड्रिल होने जा रही है. आखिर यह सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल क्या है? इसके बारे में जानते हैं.
क्या है सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल?
इस मॉक ड्रिल का उद्देश्य है कि किसी भी इमरजेंसी हालात से देश के नागिरकों को तैयार करना है. इसमें सिखाया जाता है कि हवाई हमले की स्थिति में और ब्लैक आउट होने पर क्या-क्या करें? जिससे अपने साथ-साथ दूसरों की भी सुरक्षा करना सुनिश्चित हो सकें. यह ड्रिल जंग या फिर आपदा (Disaster) की स्थिति से बाहर निकलने के लिए अहम भूमिका निभा सकती है. बता दें कि यह मॉक ड्रिल सुरक्षा और आपदा प्रबंधन से जुड़ा एक राष्ट्रीय स्तर का समन्वय प्रयास है.
एक्सपर्ट्स के अनुसार, यूरोपीय देशों में इस तरह के मॉक ड्रिल होती रहती है. जहां भी युद्ध जैसे हालात बनते हैं. वहां की सरकार नागरिकों को बचाव के तरीके सिखाती है.
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गृह मंत्रालय में हुई उच्च स्तरीय बैठक
इसको लेकर मंगलवार को नॉर्थ ब्लॉक स्थित गृह मंत्रालय में हाई लेवल मीटिंग हुई. इस बैठक की अध्यक्षता गृह सचिव गोविंद मोहन ने की. वहीं बैठक में राज्यों के मुख्य सचिव और वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे. बैठक में लोगों को कैसे मॉक ड्रिल के लिए ट्रेनिंग देना है. इस बात की समीक्षा की गई.
सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल का उद्देश्य
यह ड्रिल नागरिकों को युद्धकालीन परिस्थितियों के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार करती है. सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल का मुख्य उद्देश्य आपातकालीन स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया देना सिखाता है. इसमें हवाई हमने की चेतावनी (सायरन), ब्लैकआउट, निकासी, प्राथमिक चिकित्सा और बंकरों में शरण लेने जैसी एक्टिविटी शामिल होती है.
एयर स्ट्राइक जैसी स्थिति के लिए लोगों को तैयार करना ये भी मॉक ड्रिल के लिए जरूरी है. आपात स्थिति के लिए प्रशासनिक व्यवस्था को दुरुस्त किया जाता है.
वहीं यह ड्रिल प्रशासन, सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स, होम गार्ड, अग्निशमन सेवाओं और पुलिस के बीच समन्वय को भी बेहतर बनाना है.
मॉक ड्रिल में क्या होगा?
देश की 244 जिलों में मॉक ड्रिल का आयोजन किया जाएगा. मॉक ड्रिल की शुरूआत में हवाई हमले की चेतावनी के लिए सायरन बजाए जाते हैं. जिसके बाद नागरिकों को नागरिकों को बंकर या मजबूत इमारतों में जाने जाने का अभ्यास कराए जाएंगे.
इस दौरान ब्लैकआउट (लाइट ऑफ) हो जाएगा और एक सायरन बजेगा. इस वक्त लोगों को छिपना होगा. मॉक ड्रिल के माध्यम से लोगों को यह समझाया जाएगा कि युद्ध या आपात स्थिति में क्या-क्या करना चाहिए. इवेक्विशेन प्लान के तहत लोगों से जगह खाली कराने के लिए पहले से ही इसका रिहर्सल करना है.
इसके अलावा, प्राथमिक चिकित्सा, अग्निशमन, और आपातकालीन किट के उपयोग का प्रशिक्षण दिया जाता है. स्कूलों, कॉलेजों, और गांवों में नागरिकों को जागरूक करने के लिए विशेष सत्र आयोजित किए जाते हैं.
भारत में सिविल डिफेंस के जिले
यह वह जिले होते हैं जहां सिविल डिफेंस प्रोग्राम लागू करते है. इन जिलों को उनकी संवेदनशीलता के आधार पर बांटा जाता है. सबसे पहले इन जिलों में बॉर्डर के पास वाले जिले आते हैं. पंजाब, राजस्थान, गुजरात और जम्मू-कश्मीर के जिलों को उनके फ्रंटलाइन स्टेट्स माना जाता है.
दूसरे नंबर पर क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर का नंबर आता है. इसमें पावर ग्रिड, रिफाइनरियां, पोर्ट और कम्युनिकेशन नेटवर्क वाले क्षेत्र शामिल है.
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