बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिन्दुओं पर अत्याचार थमने का नाम नहीं ले रहा है. ताजा मामला जैसोर जिले के दहरामशियाहाटी गांव से सामने आया है, जहां हिन्दू समुदाय के 20 घरों को इस्लामिक कट्टरपंथियों ने पहले लूटा और फिर आग के हवाले कर दिया. इस हिंसक हमले में पीड़ित हिन्दुओं ने अपनी संपत्ति और घर सहित सब कुछ खो दिया.
हमलावर कट्टरपंथियों ने पहले हिन्दू घरों से नकदी और सोने-चांदी के आभूषण लूट लिए, उसके बाद हिन्दू महिलाओं से छेड़छाड़ करते हुए कई लोगों के साथ मारपीट की गई. साथ ही, गांव के मंदिर को भी इस्लामिक चरमपंथियों ने निशाना बनाया. उन्मादियों के इस हमले में दर्जनों लेग घायल हुए हैं.
बता दें कि 22 मई को दहरामशियाहाटी गांव में एक स्थानीय विवाद के दौरान बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) नेता तारिकुल इस्लाम की हत्या हो गई थी. इसके बाद गांव में रहने वाले हिंदू समुदाय के लोगों को निशाना बनाया गया. पीड़ितों ने आरोप लगाया है कि उनका इस हत्या से उनका कोई संबंध नहीं था, फिर भी उन्हें प्रताड़ित किया गया.
बांग्लादेश में यह कोई पहला मामला नहीं है, जिसमें हिन्दू समुदाय को निशाना बनाया गया है. इससे पहले इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा ऐसी तमाम हिंसक घटनाएं समाने आ चुकी हैं, जब हिन्दुओं पर अत्याचार हुए. आइए जानते हैं कि पिछले एक दशक में कब-कब हिन्दुओं पर हमले हुए? कितना जान-माल का नुकसान हुआ?
वर्ष 2013 से 2021: हिन्दू समुदाय पर 3,679 हमले
बांग्लादेश के मानवाधिकार संगठन ऐन ओ सलीश केंद्र (Ain o Salish Kendra) की रिपोर्ट के अनुसार जनवरी 2013 से सितंबर 2021 के बीच हिंदू समुदाय पर 3,679 हमले हुए. इनमें 1,678 मंदिरों और मूर्तियों पर हमले किए गए. इसके अलावा 559 घरों और 442 दुकानों पर आगजनी और तोड़फोड़ की गई, जबकि इस दौरान 11 हिन्दुओं की हत्या की गई.
1. फरवरी 2023 में जमात-ए-इस्लामी के विरोध के बाद हिंदुओं पर हमले
28 फरवरी 2013 को जमात-ए-इस्लामी के नेता डेलवार हुसैन सईदी को युद्ध अपराधों का दोषी ठहराए जाने के बाद, जमात समर्थकों ने देशभर में हिंसा फैलाई. इस दौरान 20 जिलों में 50 से अधिक मंदिरों और 1,500 से अधिक हिंदू घरों को नष्ट किया गया. खुलना, झेनाइदाह, रंगपुर, और बोगुरा जैसे जिलों में मंदिरों को जलाया गया और मूर्तियों को तोड़ा गया.
2. जनवरी 2014 में आम चुनाव के बाद हिंदू समुदाय पर हमले
5 जनवरी 2014 को हुए आम चुनावों के बाद विपक्षी दलों ने चुनाव का बहिष्कार किया और हिंसा भड़क उठी. इस दौरान कई जिलों में हिंदू समुदाय के घरों और मंदिरों पर हमले हुए. नेट्रकोना, बागेरहाट, लक्ष्मीपुर, और माघुरा जिलों में मंदिरों को निशाना बनाया गया.
3. साल 2016 में हिंदू पुजारियों और कार्यकर्ताओं की हत्याएं
साल 2016 में बांग्लादेश में हिन्दुओं पर कई बार हमले हुए, जिसमें 25 मई को गाइबांधा जिले में 68 वर्षीय हिंदू व्यापारी देबेश चंद्र प्रमाणिक की हत्या कर दी गई. 7 जून को झेनाइदाह जिले में 70 वर्षीय हिंदू पुजारी आनंद गोपाल गांगुली की हत्या की गई. 10 जून को पाबना जिले में 60 वर्षीय मठ कार्यकर्ता नित्यरंजन पांडे की हत्या कर दी गई. 15 जून को मादारीपुर जिले में कॉलेज शिक्षक रिपन चक्रवर्ती पर हमला, जिसमें वे गंभीर रूप से घायल हुए. वहीं 1 जुलाई को सातखीरा जिले में मंदिर कार्यकर्ता श्यामानंद दास की हत्या कर दी गई.
4. साल 2021 में दुर्गा पूजा के दौरान व्यापक हिंसा
13 से 19 अक्टूबर 2021 के बीच दुर्गा पूजा के दौरान एक फर्जी सोशल मीडिया पोस्ट के आधार पर देशभर में हिंदू समुदाय पर हमले किए गए. कुमिल्ला जिले में एक मंदिर में कथित रूप से कुरान की बेअदबी के आरोप के बाद हिंसा भड़की. इस दौरान 80 से अधिक मंदिरों और पूजा पंडालों को नुकसान पहुंचाया गया. इस हिंसा के दौरान 8 से अधिक लोगों की मौत हुई और 150 से अधिक लोग घायल हुए. वहीं बांग्लादेश सरकार ने 22 जिलों में अर्धसैनिक बलों को तैनात किया था और 450 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया था.
5. वर्ष 2022 में मंदिरों पर हमले और भूमि हड़पने के मामले
साल 2022 में हिंदू समुदाय पर 501 संगठित हमले हुए, जिनमें 468 घरों पर हमले, 343 आगजनी की घटनाएं, 93 व्यवसायों पर हमले और 2,159 एकड़ भूमि पर कब्जा शामिल है. इसके अलावा, 56 मंदिरों पर हमले और 219 मूर्तियों को तोड़ा गया. आइए जानते हैं उन घटनाओं के बारे में विस्तार से.
A. 24 जनवरी 2022 को सतखीरा जिले के अगरदारी गांव में मूर्ति निर्माता रंजन कुमार पाल की कार्यशाला पर हमला किया गया था. इस हमले में 4 काली और 49 सरस्वती की मूर्तियां तोड़ी गईं. लेकिन पुलिस हमलावरों की पहचान नहीं कर पायी.
B. 17 मार्च 2022 को होली उत्सव के दौरान ढाका के वारी क्षेत्र में स्थित राधा-कांत जिउ इस्कॉन मंदिर पर लगभग 200 लोगों की भीड़ ने हमला किया. हमलावरों ने मंदिर की दीवार तोड़ी, मूर्तियों को क्षतिग्रस्त किया और मंदिर की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया. इस हमले में तीन लोग घायल हुए।
C. 11 अप्रैल 2022 को बागेरहाट जिले के अमरबुनिया गांव में एक फेसबुक पोस्ट के बाद एक हिंदू परिवार का घर जला दिया गया और पास के मंदिर को क्षतिग्रस्त किया गया. पुलिस ने इस घटना में शामिल सात लोगों को गिरफ्तार किया.
D. 30 मई 2022 को सिलेट के बीनिबाजार में वासुदेव मंदिर में धार्मिक अनुष्ठान के दौरान कुछ अज्ञात लोगों ने हमला किया, जिसमें 10 भक्त घायल हुए. पुलिस ने एक स्थानीय युवक को गिरफ्तार किया.
E. 5 जून 2022 को फरीदपुर जिले के भांगा उपजिला के जंडी गांव में 50 साल पुराने दो मंदिरों पर हमला हुआ, मूर्तियां तोड़ी गईं और आगजनी की गई.
F. 15 जुलाई 2022 को नाराइल जिले के साहापारा गांव में एक फेसबुक पोस्ट के बाद भीड़ ने एक मंदिर, दुकानों और कई हिंदू घरों पर हमला किया. पुलिस ने पांच लोगों को गिरफ्तार किया.
G. 18 नवंबर 2022 को लालमोनिरहाट जिले के गोकोंडा यूनियन के तीस्ता बाजार क्षेत्र में स्थित 200 साल पुराने सर्वजनिन शिव मंदिर पर अज्ञात लोगों ने हमला किया, शिवलिंग को क्षतिग्रस्त किया और दान पेटी से पैसे चुरा लिए.
6. वर्ष 2024 में राजनीतिक अस्थिरता के बाद भड़की हिंसा
5 अगस्त 2024 में प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे के बाद हिंदू समुदाय पर हमलों में तेजी आई. बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई ओइक्य परिषद (Bangladesh Hindu Buddhist Christian Oikya Parishad) के अनुसार 4 अगस्त से 20 अगस्त 2024 के बीच 2,010 घटनाएं हुईं, जिनमें 69 मंदिरों को नुकसान पहुंचाया गया, 157 परिवारों के घरों और व्यवसायों पर हमले हुए और 5 हिंदुओं की हत्या हुई. बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई ओइक्य परिषद एक संगठन है जो बांग्लादेश में हिंदू, बौद्ध और ईसाई समुदायों के हितों की रक्षा करता है.
बांग्लादेश में अगस्त 2024 में प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे के बाद हिंदू समुदाय पर हुई हिंसा की प्रमुख घटनाएं नीचे दी गई हैं:
- 7 अगस्त 2024 को ढाका के खिलगांव क्षेत्र में स्थित नंदीपारा काली मंदिर पर रात में करीब 9:30 बजे 20 से अधिक कट्टरपंथी तत्वों ने हमला किया. हमलावरों ने मंदिर में घुसकर काली मां की मूर्ति को तोड़ा, दीवारों को अपवित्र किया और मंदिर के भीतर आगजनी की. मंदिर के पुजारी पर लाठियों और लोहे की रॉड से हमला किया गया. पुजारी गंभीर रूप से घायल हो गए. कई श्रद्धालुओं को जान बचाने के लिए छिपना पड़ा. स्थानीय पुलिस पर जानबूझकर आंख मूंदने का आरोप लगा. यह मंदिर ढाका का प्राचीनतम काली मंदिर माना जाता है, जो बांग्लादेश में हिंदू आस्था की प्रतीक स्थली था. इस हमले ने धार्मिक भावनाओं को गहराई से आहत किया. लालमोनिरहाट में 200 वर्ष पुराने शिव मंदिर पर हमला कर शिवलिंग को क्षतिग्रस्त किया गया.
- अगस्त 2024 के मध्य में शेरपुर जिले के एक पूर्ण रूप से हिंदू-बहुल मोहल्ले को निशाना बनाया गया. हमलावरों ने रात में सुनियोजित तरीके से मोहल्ले में घुसकर कम से कम 17 घरों, 3 मंदिरों और कई दुकानों को जला दिया. मंदिरों की मूर्तियां खंडित की गईं, धार्मिक ग्रंथ जलाए गए. हमले के समय अधिकतर पुरुष मंदिर में पूजा या बाहर कार्यरत थे, जिससे महिलाएं और बच्चे सीधे हमले की चपेट में आ गए. इससे सैकड़ों लोग निर्धन और बेघर हो गए. प्रशासन घटनास्थल पर घंटों देरी से पहुंचा, जिससे आक्रोश और भय और गहरा हुआ. यह हमला केवल संपत्ति को नुकसान पहुंचाने तक सीमित नहीं था, बल्कि यह एक सांप्रदायिक भय का संदेश था.
- इस दौरान हिंदू पार्षदों की टारगेट किलिंग के मामले भी सामने आए. हराधन रॉय (परशुराम थाना अवामी लीग पार्षद) और काजल रॉय (स्थानीय अल्पसंख्यक नेता) की अलग-अलग घटनाओं में गोली मारकर हत्या कर दी गई. दोनों नेता हिंदू अधिकारों की सुरक्षा के लिए लगातार आवाज उठा रहे थे. हमला बिलकुल पेशेवर ढंग से किया गया. हेलमेटधारी हमलावर बाइक से आए और सीधे सिर में गोली मारी. इससे पूरे हिंदू समुदाय में दहशत फैल गई, कई स्थानीय नेता भूमिगत हो गए. यह हमले दिखाते हैं कि बांग्लादेश में हिंदू समाज के नेता भी सुरक्षित नहीं. ये हत्याएं केवल व्यक्ति नहीं, बल्कि हिंदू नेतृत्व की आवाज को दबाने का प्रयास थीं.
प्रशासनिक निष्क्रियता और सुरक्षा की कमी
इस दौरान पुलिस की निष्क्रियता बड़े पैमाने पर सामने आई. कई स्थानों पर पुलिस ने हमलों को रोकने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की. बल्कि दंगाई कट्टरपंथियों की भीड़ का साथ दिया. सेना की उपस्थिति केवल प्रतीकात्मक रही, जिससे हमलावरों को रोकने में कोई प्रभावी मदद नहीं मिली.
7. वर्ष 2025: अंतरिम सरकार के दौरान हिंसा
जनवरी 2025 में बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई ओइक्य परिषद ने मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार पर अल्पसंख्यकों की सुरक्षा में विफल रहने का आरोप लगाया. परिषद की ओर से बताया गया कि अगस्त 2024 से दिसंबर 2024 के बीच 2,184 घटनाएं हुईं, जिनमें 23 हत्याएं और 9 बलात्कार शामिल हैं.
8. हिंदू जनसंख्या: 2022 की जनगणना
बांग्लादेश की 2022 की जनगणना के अनुसार देश की कुल जनसंख्या 165.16 मिलियन है, जिसमें हिंदू समुदाय की संख्या 13.1 मिलियन (7.95%) है. यह प्रतिशत 2011 में 8.54% था, जिससे साफ होता है कि हिंदू जनसंख्या में गिरावट आई है. अन्य अल्पसंख्यक (बौद्ध, ईसाई, आदि) मिलकर 1% से भी कम हैं. बांग्लादेश की कुल 165.16 मिलियन जनसंख्या में से 91.08% मुसलमान हैं. बांग्लादेश के 8 डिवीजनों में जनसंख्या में हिंदुओं की हिस्सेदारी काफी अलग-अलग है.
9. हिंदू जनसंख्या में गिरावट
साल 2011 की जनगणना में बांग्लादेश में हिंदू जनसंख्या का प्रतिशत 8.54% थी, जो 2022 में घटकर 7.95% हो गयी है. इस गिरावट के पीछे दो प्रमुख कारण बताए गए हैं. पहला कारण है प्रताड़ित होने की वजह से हिंदू समुदाय के लोगों का देश से बाहर जाना. दूसरा कारण है हिंदू समुदाय में प्रजनन दर का कम होना. यह जानकारी बांग्लादेश ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स (BBS) द्वारा जारी रिपोर्ट में दी गई है.
पिछले एक दशक में बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर सुनियोजित हमले हुए. जिसमें धार्मिक हिंसा, मंदिरों और मूर्तियों की तोड़फोड़, घरों-दुकानों में आगजनी और जबरन जमीन कब्जाने के मामले लगातार बढ़े हैं. साल 2013 से 2025 के बीच हजारों की संख्या में हमले दर्ज हुए, जिनमें 2021 और 2022 खासतौर पर हिंसक रहे. देखा जाए तो 2013 से लेकर 2025 तक हिन्दू समुदाय पर 6000 से अधिक हमले हुए.
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