मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो यानि सीबीआई को अब किसी भी मामले में जांच करने के लिए पहले राज्य सरकार की अनुमित लेनी होगी. इसके लिए मोहन सरकार के गृह विभाग ने अधिसूचना जारी कर दी है. राज्य सरकार की अनुमति के बाद ही सीबीआई के अधिकारी किसी भी व्यक्ति के खिलाफ जांच कर पाएंगे.
राज्य सरकार ने दिल्ली विषय पुलिस स्थापना अधिनियम की धारा-3 की शक्तियों के तहत प्रदेश में जांच को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया है. इसके अनुसार सीबीआई को सरकारी अधिकारी कर्मचारियों के अपराधिक मामले की जांच के लिए अनुमति लेने की जरूरत होगी. यह आदेश 1 जुलाई 2024 से प्रभावी हो गया है.
इन राज्यों में पहले से लागू है व्यवस्था
मध्य प्रदेश से पहले भी कई राज्यों में ये व्यवस्था लागू है. पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, पंजाब, केरल और तेलंगाना राज्यों में सीबीआई को जांच से पहले वहां की सरकार की परमिशन लेनी पड़ती है. वहीं, यदि राज्य सरकार कोई मामला केंद्रीय जांच एजेंसी को सौंपना चाहती है तो उसकी भी लिखित सूचना देनी होगी और सहमति के आधार पर निर्णय होगा.
विपक्षी दलों ने केंद्र पर लगाया था आरोप
विपक्षी दल खासकर इंडिया ब्लॉक के दल केंद्र की मोदी सरकार पर जांच एजेंसियों के दुरूपयोग का आरोप लगाते रहे हैं. विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार विपक्ष को धमकाने के लिए जांच एजेंसियों का डर दिखा रही है. बता दें इस मामले को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की है. सुप्रीम कोर्ट ने भी सीबीआई को जांच के लिए राज्य सरकार की सहमति लेने पर मुहर लगाई थी.
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