हरियाणा विधानसभा चुनाव में आप-कांग्रेस का साथ लड़ने का सपना टूट गया है. दोनों राजनीतिक दलों में होने वाले गठबंधन की गाड़ी पटरी से उतर गई है. अब आम आदमी पार्टी ने अकेले चुनावी मैदान में उतरने की ठानी है और एक कदम आगे बढ़ाते हुए 20 प्रतयाशियों की पहली लिस्ट भी जारी कर दी है. आप ने उन 11 सीटों पर भी उम्मीदवार उतारे हैं जहां कांग्रेस पहले से अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर चुकी है. ये सीटें हैं- उचान कलाँ, मेहम, बादशाहपुर, नारायणगढ़, समालखा, दाबवली, रोहतक, बहादुरगढ़, बादली, बेरी और महेन्द्रगढ़.
Aam Aadmi Party (AAP) releases first list of 20 candidates for Haryana Assembly Elections pic.twitter.com/CBkbRtjW2z
— ANI (@ANI) September 9, 2024
रोहतक से बिजेन्द्र हुड्डा,महम से विकास नेहरा को टिकट
रोहतक शहरी सीट से आम आदमी पार्टी के जिला अध्यक्ष बिजेन्द्र हुड्डा को टिकट मिली है, वहीं महम विधानसभा क्षेत्र से विकास नेहरा को चुनावी मैदान में उतारा गया है. रोहतक से बिजेन्द्र हुड्डा व महम से विकास नेहरा को टिकट मिलने के बाद समर्थकों ने लड्डू बांटकर खुशी मनाई. टिकट मिलने पर बिजेन्द्र हुड्डा व विकास नेहरा ने कहा कि पार्टी ने जो उन पर विश्वास जताया और जो जिम्मेदारी दी है, वह पूरी ईमानदारी से उस पर खरा उतरेगे. जगवीर हुड्डा ने कहा कि पार्टी प्रदेश में सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और जल्द ही शेष उम्मीदवारों के नामों की भी घोषणा कर दी जाएगी.
गठबंधन टूटने की तीन मुख्य वजह
बता दें पिछले दिनों कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में गठबंधन की चर्चाएं तेज थी. कहा जा रहा था दोनों गठबंधन में विधानसभा का चुनाव लडेंगे. लेकिन आज जारी आप की लिस्ट से गठबंधन की संभावनाओं पर विराम लगा दिया है. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि दोनों दलों में सीट शेयरिंग को लेकर बात नहीं बन पाई. वहीं कई लोग कह रहे हैं हरियाणा कांग्रेस का स्थानीय नेतृत्व आप से गठबंधन करने के पक्ष में नहीं था. इसका कारण है कि दिल्ली और पंजाब दोनों में आप की सरकार है ऐसे में कांग्रेस के कंधे पर चढ़कर उसे हरियाणा में पैर जमाने का अवसर मिल जाएगा. क्योंकि दिल्ली-पंजाब दोनों की राज्यों में कांग्रेस की सरकार को हटाकर आम आदमी पार्टी ने अपनी सरकार बनाई है. ये गलती हरियाणा कांग्रेस वाले इस बार नहीं करना चाहते.
दूसरी वजह ये मानी जा रही है कि आप कांग्रेस की उन सीटों पर टिकट मांग रही थी जहां कांग्रेस के मजबूत दावेदार थे. ऐसे में कांग्रेस के भीतर ही बगावत के सुर उठने लगते. अभी कांग्रेस में हुड्डा, कुमारी शैलजा और सुरजेवाला गुट के आपसी तालमेल की चुनौती है. गठबंधन धर्म को निभाने के लिए कांग्रेस आलाकमान को ज्यादा उलझे पेंच सुलझाने पड़ते.
तीसरी वजह ये है कि लोकसभा चुनाव में हॉफ सेंचुरी मारने वाली कांग्रेस अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है. हरियाणा में 10 साल की बीजेपी सरकार की एंटी-इंकम्बेंसी भी है. वहीं कांग्रेस खेमें मे ये बात है कि प्रदेश की हवा पार्टी के पक्ष में है. पार्टी के प्रदेश स्तर के नेता ये मानते हैं कि आम आदमी पार्टी इसी हवा का फायदा उठाने के लिए गठबंधन का हिस्सा बनना चाहती थी ताकि उसे प्रदेश में फायदा मिले. लेकिन जितनी संख्या में सीट आम आदमी पार्टी मांग रही थी वो देना कांग्रेस की तरफ से संभव नहीं था.
गठबंधन टूटने से किसे फायदा-नुकसान?
कई राजनीतिक जानकारों का मानना है कि आप से गठबंधन करके कांग्रेस को फायदा हो सकता था. दिल्ली-पंजाब सीमा से लगने वाली शहरी सीटों पर आप काफी मर्जिन से जीत सकती थी. वहीं वो बीजेपी के कोर वोटर में सेंध लगाती साथ ही उसे कांग्रेस का शिफ्टेड वोटबैंक भी मिलता. जिसका फायदा गठबंधन को होता. लेकिन हरियाणा कांग्रेस के कई नेताओं ने इस फॉर्मूले को सिरे से खारिज कर दिया.
बात बीजेपी की करें तो बीजेपी यही चाहेगी कि सत्ता सविरोधी वोटर जितने ज्यादा हिस्सों में बंटे उतना ही बेहतर होगा. आईएनएलडी-बीएसपी और आजाद समाज पार्टी-जेजेपी का गठबंधन है. ऐसे में आम आदमी पार्टी का अलग जाना कांग्रेस के वोट को अपने साथ ले जाएगा. हो सकता है इससे बीजेपी को फायदा हो जाए. राजनीति में कब क्या हो जाए. कुछ कह नहीं सकते. हरियाणा की जनता 5 अक्टूबर को वोट के माध्यम से अपना जवाब देगी. 8 अक्टूबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे.
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