वाशिंगटन: अमेरिका की संसद (कांग्रेस) ने बुधवार को लैकेन रिले विधेयक को अंतिम मंजूरी प्रदान कर दी. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हस्ताक्षर के बाद यह कानून का रूप लेगा. इस कानून का एकमात्र मकसद अवैध प्रवासियों पर अंकुश लगाना है. इससे भारत समेत कई देशों के प्रवासी प्रभावित होंगे. माना जाता है कि अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे प्रवासियों में लगभग 75,000 भारतीय हैं.
ओरेगन कैपिटल क्रॉनिकल समाचार पत्र की खबर के अनुसार, डेमोक्रेट्स के बड़े गुट ने रिपब्लिकन के सहयोग से इसे 263-156 मतों से पारित किया. उल्लेखनीय है कि डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव अभियान के दौरान इस मुद्दे को उठाया. उन्होंने शपथ ग्रहण के बाद अपने पहले संबोधन में कहा था कि अवैध रूप से आए लोगों को जो जहां से आया है, वहीं वापस भेज दिया जाएगा.
इस विधेयक का नाम 22 वर्षीय जॉर्जिया नर्सिंग छात्र लैकेन रिले के नाम पर रखा गया है. लैकेन की पिछले साल वेनेजुएला में हत्या कर दी गई थी. आव्रजन अधिकारियों ने लैकेन की हत्या में दोषी ठहराए गए व्यक्ति के बारे में कहा था कि उसने उचित अनुमति के बिना प्रवेश किया था. उस पर संयुक्त राज्य अमेरिका में दुकानों में चोरी का आरोप भी लगा था. अलबामा से सीनेटर केटी ब्रिट ने कहा है, “मुझे गर्व है कि लैकेन रिले अधिनियम पहला ऐतिहासिक विधेयक होगा जिस पर राष्ट्रपति ट्रंप हस्ताक्षर करके कानून बनाएंगे. यह इस बात का भी सबूत है कि राष्ट्रपति ट्रंप और रिपब्लिकन वादों को पूरा करने के लिए तैयार हैं.”
अमेरिका में तीन दशक की राजनीति में इसे सबसे महत्वपूर्ण विधेयक माना जा रहा है. इसमें आव्रजन न्यायाधीश को बॉन्ड देने की क्षमता के बिना अप्रवासियों को हिरासत में लेने का अधिकार दिया गया है. इसमें आप्रवासी बच्चों के लिए कोई प्रावधान नहीं है. यह विधेयक राज्य के अटॉर्नी जनरल को संघीय आव्रजन नीति और आव्रजन न्यायाधीशों के बॉन्ड निर्णयों को चुनौती देने के लिए व्यापक कानूनी अधिकार प्रदान करता है. साथ ही प्राधिकारी राज्य सचिव को अंतरराष्ट्रीय मंच पर वीजा जारी करने से रोकने के लिए भी मजबूर कर सकता है.
विधेयक के अमल पर आएगा 83 बिलियन अमेरिकी डॉलर का खर्च
अनुमान लगाया जा रहा है कि अगले तीन साल में विधेयक के अमल पर 83 बिलियन अमेरिकी डॉलर का खर्च आएगा. अमेरिकी आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन का अनुमान है कि बिल के लागू होने से अप्रवासियों को हिरासत में लेने वालों की संख्या बढ़ जाएगी.
अमेरिका में 50 लाख से अधिक भारतीय
एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में भारतीयों की संख्या 50 लाख से अधिक है. इनमें से लगभग 75,000 अवैध रूप से रह रहे हैं. अमेरिका में जारी होने वाले 3,86,000 एच1बी वीजा में से लगभग तीन-चौथाई भारतीयों को मिलते हैं. दूसरी ओर अमेरिकी संविधान में 155 साल पहले हुआ 14वां संशोधन अमेरिका में जन्म लेने वाले हर बच्चे को नागरिकता का जन्मसिद्ध अधिकार देता है. कहा जाता है कि इसे भुनाने के लिए कुछ लोग केवल बच्चे पैदा करने के लिए अमेरिका जाते हैं. इसे नागरिकता पर्यटन भी कहा जाता है. ट्रंप ने दूसरा कार्यकाल शुरू करने पर आदेश जारी कर इसकी परिभाषा ही बदल दी है. यह आदेश कहता है कि अवैध या अस्थायी रूप से रहने वाले आप्रवासियों के बच्चों को अमेरिका में पैदा होने पर भी वहां की नागरिकता नहीं मिलेगी.
हिन्दुस्थान समाचार
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