दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने सभी को चौंका दिया है. इस बार राजधानी में सत्ता परिवर्तन हो गया है. 27 साल से वनवास झेल रही बीजेपी को 48 सीटें देकर प्रचंड और स्पष्ट बहुमत दिल्ली के वोटरों ने दिया है. वहीं आम आदमी पार्टी महज 22 सीटों पर ही सिमट गई. कांग्रेस ने जीरो की हैट्रिक लगा दी यानि कांग्रेस का लगातार तीसरी बार कोई विधायक विधानसभा नहीं पहुंचा है.
इस चुनाव में बीजेपी की सूनामी इस कदर चली कि आम आदमी पार्टी के दिग्गज कहे जाने नेता चुनाव हार गए. खुद केजरीवाल अपना किला नहीं बचा पाए. उन्हें बीजेपी प्रत्याशी प्रवेश वर्मा ने नई दिल्ली से शिकस्त दी. मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन, सौरभ भारद्वाज, राखी बिड़ला और सोमनाथ भारती चुनाव हार गए.
यह चुनाव केजरीवाल की साख का चुनाव भी था. उन्होंने कहा था कि दिल्ली के लोग अगर वोट देकर दोबारा चुनेंगे तो ही वो इसे ईमानदारी का सार्टिफिकेट मानेंगे. लेकिन केजरीवाल खुद चुनाव हार गए. यह चुनाव आम आदमी पार्टी के 13 साल की राजनीति में सबसे शर्मनाक चुनाव रहा. पहली बार आप ने 2013 में चुनाव लड़ा था. उस समय भी आप को 28 सीटें मिली थी. लेकिन इस बार केवल 22 सीटों पर पार्टी ढेर हो गई.
दिल्ली में आम आदमी पार्टी की मुफ्त वाली रेवड़ियां, स्कूल-कॉलेज का कायापलट का दावा, कट्टर ईमानदार का टैग कोई दांव केजरीवाल का काम नहीं आया. आइए केजरीवाल की हार के 10 बड़े कारण आपकों बताते हैं.
1. एंटी- इन्कंबेंसी- आम आदमी पार्टी ने 10 साल तक दिल्ली पर शासन किया. इस दौरान आप ने कई वादे दिल्ली की जनता से किए लेकिन उनता डिलीवर नहीं कर पाए. जिसकी वजह से आम जनता में केजरीवाल और उनकी सरकार के प्रति नाराजगी थी. उसका का असर विधानसभा चुनाव में देखने को मिला और परिणाम हुआ कि दिल्ली में सत्ता परिवर्तन हो गया.
2. करप्शन का आरोप- आम आदमी पार्टी का जन्म ही अन्ना के एंटी करप्शन मूवमेंट से हुआ था. केजरीवाल ने भी इस आंदोलन के जरिए पार्टी का गठन किया लेकिन वो खुद कथित शराब घोटाले भ्रष्टाचार मामले में फंस गए. उन्हें इस मामले में जेल भी जाना पड़ा. वहीं मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन तक जेल गए. उन्होंने बीजेपी पर झूठे आरोप में फंसाने और खुद को कट्टर ईमानदार होने का दावा किया. लेकिन दिल्ली की जनता ने उनको नकार दिया.
3. यमुना की सफाई बना मुद्दा- दिल्ली में 10 साल से काबिज केजरीवाल हर बार यमुना को साफ करने की बात कहते रहे. हर बार छठ में यमुना नदी में झाग वाली तस्वीरें लोगों को हैरान किया. यमुना का पॉल्यूशन पर केजरीवाल के झूठे वादे को जनता ने पसंद नहीं किया और बीजेपी के साथ जाना सही समझा.
4. केंद्र के साथ लड़ाई- दिल्ली की टूटी सड़कें, गंदगी का अंबार और गंदे पानी के लिए बीजेपी की केंद्र सरकार पर ढींकरा फोड़ते रहे. केजरीवाल की एक्सक्यूज पॉलिटिक्स को दिल्ली की जनता ने पसंद नहीं किया.
5. फ्रीबीज में मिला कॉम्पिटिशन- केजरीवाल ने दिल्ली की महिलाओं को 2100 देने और पुजारी ग्रंथियों को 18-18 हजार देने का ऐलान किया. वहीं बीजेपी ने केजरीवाल की फ्रीबीज पॉलिटिक्स का जोरदार जवाब दिया. और हर महीने महिलाओं को 2500 रूपये, त्योहारों पर मुफ्त सिलिंडर और बुजुर्गों के लिए पेंशन बढ़ाने और मुफ्त ईलाज का वादा किया. और पीएम मोदी ने इसे मोदी की गारंटी बताया. जिसपर जनता ने विश्वास किया.
6. बजट में मिडिल क्लास को केंद्र का तोहफा- चुनाव से ठीक पहले केंद्रीय बजट ने मध्यम वर्ग को बड़ी सौगात दी गई, 12 लाख रुपये तक की आमदनी और वेतनभोगियों के मामले में तो 12.75 लाख रुपये तक की सालाना आमदनी को इनकम टैक्स से मुक्त करने का जो ऐलान हुआ, उसका सीधा लाभ बीजेपी को दिल्ली चुनाव में मिला.
7. केजरीवाल से कार्यकर्ता नाराज- केजरीवाल ने टिकट बंटवारे में काफी जल्दबाजी की और दूसरी पार्टी से आए लोगों को टिकट दिया गया. जिससे उनकी पार्टी के कार्यकर्ता और नेता नाराज हो गए. कईयों ने पार्टी को अलविदा कहकर बीजेपी ज्वाइन कर ली.इसका केजरीवाल को खामियाना भुगतना पड़ा.
8. गैर-जिम्मेदार राजनीति करते रहे केजरीवाल- चुनावी कैंपेन के दौरान केजरीवाल ने हरियाणा बीजेपी की सरकार पर यमुना के पानी में जहर घोलने का आरोप लगाया. चुनाव आयोग में मामला गया तो उनके सुर बदल गए, कहने लगे कि वह यमुना के पानी में बढ़े हुए अमोनिया के स्तर की बात कर रहे थे.
9. अति-आत्मविश्वास- केजरीवाल हमेशा से दिल्ली को गढ़ मानते रहे. कांग्रेस ने उन्हें गठंबधन का प्रस्ताव दिया लेकिन जीत के अति-आत्मविश्वास की वजह से उन्होंने गठबंधन करने से इंकार कर दिया और अकेले चुनाव लड़े.
10. पीएम मोदी पर आपत्तिजनक टिप्पणी- केजरीवाल ने कई बार विधानसभा में पीएम मोदी को चौथी पास राजा बताया था. क्योंकि तीन बार लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी को दिल्ली वालें वोट करते रहे हैं. उन्हें केजरीवाल द्वारा पीएम मोदी का बार-बार अपमान करना पसंद नहीं आया.
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