नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगे के दौरान सरस्वती विहार के एक मामले में दोषी करार दिए गए सज्जन कुमार को 2022 में ट्रायल कोर्ट से मिली जमानत को चुनौती देने वाली एसआईटी की याचिका का निस्तारण कर दिया है. कोर्ट ने एसआईटी की इस दलील पर गौर किया कि सज्जन कुमार को इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने दोषी करार दिया है और इस मामले में उन्हें औपचारिक तौर पर हिरासत में लिया जा चुका है.
बता दें कि 12 फरवरी को राऊज एवेन्यू कोर्ट ने सज्जन कुमार को दोषी करार दिया था. इस मामले में एसआईटी और इस मामले में शिकायतकर्ता दोनों की ओर से सज्जन कुमार को फांसी की सजा देने की मांग की गई है.
मामला 01 नवंबर 1984 की है जिसमें पश्चिमी दिल्ली के राज नगर में सरदार जसवंत सिंह और सरदार तरुण दीप सिंह की हत्या कर दी गई थी. शाम को करीब चार-साढ़े चार बजे दंगाइयों की भीड़ ने पीड़ितों के राज नगर इलाके स्थित घर पर लोहे के सरियों और लाठियों से हमला कर दिया. शिकायतकर्ताओं के मुताबिक इस भीड़ का नेतृत्व सज्जन कुमार कर रहे थे जो उस समय बाहरी दिल्ली लोकसभा सीट से कांग्रेस के सांसद थे.
शिकायत के मुताबिक सज्जन कुमार ने भीड़ को हमला करने के लिए उकसाया जिसके बाद भीड़ ने सरदार जसवंत सिंह और सरदार तरुण दीप सिंह को जिंदा जला दिया. भीड़ ने पीड़ितों के घर में तोड़फोड़, लूटपाट और आगजनी को अंजाम दिया. शिकायतकर्ता की ओर से तत्कालीन रंगनाथ मिश्रा की अध्यक्षता वाली जांच आयोग के समक्ष दिए गए हलफनामे के आधार पर उत्तरी जिले के सरस्वती विहार थाने में एफआईआर दर्ज की गई. एफआईआर में भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 149, 395, 397, 302, 307, 436 और 440 के तहत आरोप लगाए गए.
हिन्दुस्थान समाचार
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