Tuesday, June 17, 2025
  • About Us
  • Contact Us
  • Privacy Policy
  • Terms & Conditions
  • Disclaimer
Ritam Digital Hindi
Advertisement Banner
  • Home
  • Nation
  • World
  • Videos
    • Special Updates
    • Rashifal
    • Entertainment
    • Legal
    • Business
    • History
    • Viral Videos
  • Politics
  • Business
  • Entertainment
  • Sports
  • Opinion
  • Lifestyle
No Result
View All Result
Ritam Digital Hindi
  • Home
  • Nation
  • World
  • Videos
    • Special Updates
    • Rashifal
    • Entertainment
    • Legal
    • Business
    • History
    • Viral Videos
  • Politics
  • Business
  • Entertainment
  • Sports
  • Opinion
  • Lifestyle
No Result
View All Result
Ritam Digital Hindi
No Result
View All Result
  • Home
  • Nation
  • World
  • Videos
  • Politics
  • Business
  • Entertainment
  • Sports
  • Opinion
  • Lifestyle
Home Opinion

Opinion: देवाधिदेव शिव- राष्ट्रीय एकता और अखण्डता के प्रतीक

महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का जलाभिषेक करना बहुत पुण्यकारी माना जाता है. इस दिन शिवलिंग का जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक, बेलपत्र, धतूरा, भांग एवं शहद अर्पित करने से विशेष फल प्राप्त होता है. मान्यता है कि इस दिन जलाभिषेक के साथ भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने और व्रत रखने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं और उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है. दाम्पत्य जीवन में प्रेम और सुख-शांति बनाए रखने के लिए भी यह व्रत लाभकारी माना गया है.

योगेश कुमार गोयल by योगेश कुमार गोयल
Feb 25, 2025, 09:30 pm IST
FacebookTwitterWhatsAppTelegram

भगवान शिव के प्रति श्रद्धा और भक्ति व्यक्त करने का विशेष अवसर है महाशिवरात्रि, जो भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का दिन माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूरी होती हैं और महाशिवरात्रि का व्रत रखने से पापों का नाश होता है, मानसिक शांति, आध्यात्मिक ऊर्जा और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. प्रतिवर्ष फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाने वाला यह पर्व इस वर्ष 26 फरवरी को मनाया जा रहा है. महाशिवरात्रि को भगवान शिव का सबसे पवित्र दिन माना गया है, जो सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत भी है. भारत में धार्मिक मान्यता के अनुसार महाशिवरात्रि का बहुत महत्व है. यह आध्यात्मिक चरम पर पहुंचने का सुअवसर है. महाशिवरात्रि को शिव तत्व को आत्मसात करने, नकारात्मक ऊर्जाओं को समाप्त करने और आध्यात्मिक उत्थान प्राप्त करने का सबसे उत्तम अवसर माना जाता है.

महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का जलाभिषेक करना बहुत पुण्यकारी माना जाता है. इस दिन शिवलिंग का जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक, बेलपत्र, धतूरा, भांग एवं शहद अर्पित करने से विशेष फल प्राप्त होता है. मान्यता है कि इस दिन जलाभिषेक के साथ भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने और व्रत रखने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं और उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है. दाम्पत्य जीवन में प्रेम और सुख-शांति बनाए रखने के लिए भी यह व्रत लाभकारी माना गया है. इस रात्रि को जागरण करने वाले भक्तों को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. शिवपुराण के अनुसार, इस दिन विधिपूर्वक व्रत रखने और रात्रि जागरण करने से समस्त पापों का नाश होता है और भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. शास्त्रों में कहा गया है कि महाशिवरात्रि की रात्रि में चार प्रहर की पूजा का विशेष महत्व है, जिसमें हर प्रहर में शिवलिंग का अलग-अलग द्रव्यों से अभिषेक किया जाता है, पहले प्रहर में जल, दूसरे प्रहर में दही, तीसरे प्रहर में घी और चौथे प्रहर में शहद से अभिषेक करने का विधान है.

धर्मग्रंथों में भगवान शिव को ‘कालों का काल’ और ‘देवों का देव’ अर्थात् ‘महादेव’ कहा गया है. एक होते हुए भी शिव के नटराज, पशुपति, हरिहर, त्रिमूर्ति, मृत्युंजय, अर्द्धनारीश्वर, महाकाल, भोलेनाथ, विश्वनाथ, ओंकार, शिवलिंग, बटुक, क्षेत्रपाल, शरभ इत्यादि अनेक रूप हैं. देवाधिदेव भगवान शिव के समस्त भारत में जितने मंदिर अथवा तीर्थस्थान हैं, उतने अन्य किसी देवी-देवता के नहीं. आज भी समूचे देश में उनकी पूजा-उपासना व्यापक स्तर पर होती है, सर्वत्र पूजनीय शिव को समस्त देवों में अग्रणी और पूजनीय इसलिए भी माना गया है क्योंकि वे अपने भक्तों पर बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं और दूध या जल की धारा, बेलपत्र व भांग की पत्तियों की भेंट से ही अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर उनकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. वे भारत की भावनात्मक एवं राष्ट्रीय एकता तथा अखण्डता के प्रतीक हैं. भारत में शायद ही ऐसा कोई गांव मिले, जहां भगवान शिव का कोई मंदिर अथवा शिवलिंग स्थापित न हो. यदि कहीं शिव मंदिर न भी हो तो वहां किसी वृक्ष के नीचे अथवा किसी चबूतरे पर शिवलिंग तो अवश्य स्थापित मिल जाएगा.

हालांकि बहुत से लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि जिस प्रकार विभिन्न महापुरुषों के जन्मदिन को उनकी जयंती के रूप में मनाया जाता है, उसी प्रकार भगवान शिव के जन्मदिन को उनकी जयंती के बजाय रात्रि के रूप में क्यों मनाया जाता है? इस संबंध में मान्यता है कि रात्रि को पापाचार, अज्ञानता और तमोगुण का प्रतीक माना गया है और कालिमा रूपी इन बुराइयों का नाश करने के लिए हर माह चराचर जगत में एक दिव्य ज्योति का अवतरण होता है, यही रात्रि शिवरात्रि है. शिव और रात्रि का शाब्दिक अर्थ एक धार्मिक पुस्तक में स्पष्ट करते हुए कहा गया है, ‘‘जिसमें सारा जगत शयन करता है, जो विकार रहित है, वह शिव है अथवा जो अमंगल का ह्रास करते हैं, वे ही सुखमय, मंगलमय शिव हैं. जो सारे जगत को अपने अंदर लीन कर लेते हैं, वे ही करुणासागर भगवान शिव हैं. जो नित्य, सत्य, जगत आधार, विकार रहित, साक्षीस्वरूप हैं, वे ही शिव हैं. महासमुद्र रूपी शिव ही एक अखंड परम तत्व हैं, इन्हीं की अनेक विभूतियां अनेक नामों से पूजी जाती हैं, यही सर्वव्यापक और सर्वशक्तिमान हैं, यही व्यक्त-अव्यक्त रूप से ‘सगुण ईश्वर’ और ‘निर्गुण ब्रह्म’ कहे जाते हैं तथा यही परमात्मा, जगत आत्मा, शम्भव, मयोभव, शंकर, मयस्कर, शिव, रूद्र आदि कई नामों से संबोधित किए जाते हैं.’’

शिव के मस्तक पर अर्द्धचंद्र शोभायमान है, जिसके संबंध में कहा जाता है कि समुद्र मंथन के समय समुद्र से विष और अमृत के कलश उत्पन्न हुए थे. इस विष का प्रभाव इतना तीव्र था कि इससे समस्त सृष्टि का विनाश हो सकता था, ऐसे में भगवान शिव ने इस विष का पान कर सृष्टि को नया जीवनदान दिया जबकि अमृत का पान चन्द्रमा ने कर लिया. विषपान करने के कारण भगवान शिव का कंठ नीला पड़ गया, जिससे वे ‘नीलकंठ’ के नाम से जाने गए. विष के भीषण ताप के निवारण के लिए भगवान शिव ने चन्द्रमा की एक कला को अपने मस्तक पर धारण कर लिया. यही भगवान शिव का तीसरा नेत्र है और इसी कारण भगवान शिव ‘चन्द्रशेखर’ भी कहलाए.

धार्मिक ग्रंथों में भगवान शिव के बारे में उल्लेख मिलता है कि तीनों लोकों की अपार सुन्दरी और शीलवती गौरी को अर्धांगिनी बनाने वाले शिव प्रेतों और भूत-पिशाचों से घिरे रहते हैं. उनका शरीर भस्म से लिपटा रहता है, गले में सर्पों का हार शोभायमान रहता है, कंठ में विष है, जटाओं में जगत तारिणी गंगा मैया हैं और माथे में प्रलयंकर ज्वाला है. बैल (नंदी) को भगवान शिव का वाहन माना गया है और ऐसी मान्यता है कि स्वयं अमंगल रूप होने पर भी भगवान शिव अपने भक्तों को मंगल, श्री और सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं.

(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)

हिन्दुस्थान समाचार

Tags: Lord ShivaMahashivratri 2025Maha Shivratri Special
ShareTweetSendShare

संबंधितसमाचार

Buddhh Purnima 2025
Opinion

Buddha Purnima 2025: महात्मा बुद्ध दया- करूणा और मानवता के पक्षधर

Operation Sindoor
Opinion

Opinion: ऑपरेशन सिंदूर- बदला हुआ भारत, बदला लेना जानता है

ऑपरेशन सिंदूर से आतंक पर प्रहार
Opinion

Opinion: ऑपरेशन सिंदूर के बाद क्या?

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला
Opinion

Opinion: पहलगाम में हिन्‍दुओं की पहचान कर मार दी गईं गोलियां, कौन-सा भारत बना रहे हम

कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण के मुद्दे पर संसद में हंगामा
Opinion

Opinion: मुस्लिम आरक्षण का खेल खेलती कांग्रेस

कमेंट

The comments posted here/below/in the given space are not on behalf of Ritam Digital Media Foundation. The person posting the comment will be in sole ownership of its responsibility. According to the central government's IT rules, obscene or offensive statement made against a person, religion, community or nation is a punishable offense, and legal action would be taken against people who indulge in such activities.

ताज़ा समाचार

Top News Of The Day: देश-दुनिया की बड़ी खबरें (16 जून 2025)

Top News Of The Day: देश-दुनिया की बड़ी खबरें (16 जून 2025)

Top News Of The Day: देश-दुनिया की बड़ी खबरें (14 जून 2025)

Top News Of The Day: देश-दुनिया की बड़ी खबरें (14 जून 2025)

Ahmedabad Plane Crash Updates: अहमदाबाद विमान हादसा

Ahmedabad Plane Crash Updates: अहमदाबाद विमान हादसा

Top News Of The Day: देश-दुनिया की बड़ी खबरें (12 जून 2025)

Top News Of The Day: देश-दुनिया की बड़ी खबरें (12 जून 2025)

Top News Of The Day: देश-दुनिया की बड़ी खबरें (10 जून 2025)

Top News Of The Day: देश-दुनिया की बड़ी खबरें (10 जून 2025)

Top News Of The Day: देश-दुनिया की बड़ी खबरें (9 जून 2025)

Top News Of The Day: देश-दुनिया की बड़ी खबरें (9 जून 2025)

Top News Of The Day: देश-दुनिया की बड़ी खबरें (8 जून 2025)

Top News Of The Day: देश-दुनिया की बड़ी खबरें (8 जून 2025)

टू-नेशन थ्योरी के विचारवालों से देश को खतरा: RSS प्रमुख

टू-नेशन थ्योरी के विचारवालों से देश को खतरा: RSS प्रमुख

निश्चित होगा परिवर्तन, जाग रहा है जन-गण-मन : संघ प्रमुख का संदेश और उसके मायने

निश्चित होगा परिवर्तन, जाग रहा है जन-गण-मन : संघ प्रमुख का संदेश और उसके मायने

जबरन मतांतरण एक तरह की हिंसा है: RSS प्रमुख डॉ. मोहन भागवत

जबरन मतांतरण एक तरह की हिंसा है: RSS प्रमुख डॉ. मोहन भागवत

  • Home
  • About Us
  • Contact Us
  • Privacy Policy
  • Terms & Conditions
  • Disclaimer

© Ritam Digital Media Foundation.

No Result
View All Result
  • Home
  • Nation
  • World
  • Videos
  • Politics
  • Opinion
  • Business
  • Entertainment
  • Lifestyle
  • Sports
  • About & Policies
    • About Us
    • Contact Us
    • Privacy Policy
    • Terms & Conditions
    • Disclaimer

© Ritam Digital Media Foundation.