केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले से पूरे देश में आक्रोश है. देशभर में कैंडल मार्च निकाले जा रहे हैं. हर कोई नम आंखों से आतंकी घटना में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दे रहा है. वहीं सरकार से सोशल मीडिया और अन्य संचार माध्यमों के द्वारा इन आंतकियों को कड़ा सबक सिखाने की अपील की जा रही है. पीएम मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आतंकियों को हमले की बड़ी कीमत चुकाने की चेतावनी दी है.
जिन लोगों ने इस आतंकी हमले को अपनी आंखों से देखा है वह इस दिन का मंजर भूला नहीं पा रहे हैं. गोलियां की तड़तड़हाट और जान बचाकर भाग रहे पर्यटकों की वह चीख आज भी उत्तर प्रदेश के जौनपुर निवासी अधिवक्ता दम्पति भूले नहीं भुला पा रहे हैं.
पहलगाम से लौटकर दम्पति ने आप बीती बयां की तो सुनने वाले लोगों के रौंगेटे खड़े हो गये. अधिवक्ता ने बताया कि घोड़े वालों के कहने पर उन्होंने अपने हाथ का कलावा काटा तो पत्नी ने माथे की बिंदी निकाली थी. सिंदूर को टोपी के नीचे छिपा लिया था.
18 अप्रैल को पहुंचे थे श्रीनगर
मुस्तफाबाद भूपतपट्टी के रहने वाले सूर्यमणि पांडेय पेशे से अधिवक्ता हैं. उन्होंने शनिवार को पत्रकारों से पहलगाम में घटित आतंकी हमले का आंखो देखा हाल सुनाया. उन्होंने बताया कि पत्नी विजया लक्ष्मी के साथ 18 अप्रैल को श्रीनगर पहुंचे थे.
पत्नी के हाथ में लगी चोट की वजह से आगे नहीं गए
21 अप्रैल को श्रीनगर ठहरे और 22 को पहलगाम के लिए निकले. वहां पहुंचकर बैसरन घाटी जिसे मिनी स्विट्ज़रलैंड कहा जाता हैं, वहां जाने के लिए दो घोड़े बुक किए. सड़क से पांच किलोमीटर तक का सफर तय कर बैसरन घाटी पहुंचे. नाश्ते के लिए घोड़े से उतरते समय पत्नी विजयलक्ष्मी के हाथ में चोट लग गई. असहनीय दर्द होने के कारण उन्होंने कहा कि अब वो यात्रा नहीं कर पायेंगी और यही से वापस लौट चलें. सहमति होने पर दोनों पास की कैंटीन में नाश्ता करने लगे.
800 मीटर दूर घाटी से आई ताबड़तोड़ फायरिंग की आवाज
इसी दौरान कैंटीन से करीब 800 मीटर दूर घाटी से ताबड़तोड़ फायरिंग की आवाज सुनाई देने लगी. इससे वह जब डर गये तो मौजूद घोड़े वालों ने कहा, घबराइए मत, गुब्बारा फूटा होगा. तभी कुछ लोग अपनी जान बचाकर दौड़ते भागते हुए हम लोगों के पास पहुंचे और कहा कि टेररिस्ट अटैक हुआ है. भागों यहां से. यह सुनकर हम लोगों के रूहं कांप गई और पैदल ही भागने लगे. इस दौरान उनके पीछे—पीछे आए घोड़े वालों ने उनसे कहा कि फायरिंग हुई है. आप लोग घोड़े पर बैठें और तुरंत नीचे चलिए. उन्होंने जब मोबाइल निकाला तो घोड़े वालों ने मना किया, कोई रिकॉर्डिंग या फोटोग्राफी न करो, पहले जान बचाओ.
पति ने कलावा काटा, पत्नी ने बिंदी हटाई
युवकों ने उनसे कहा कि अगर जान बचाना चाहते हैं तो हाथ से कलावा और शिखा काट दो. पत्नी से बोला कि सिंदूर, बिंदी हटा दें. घोड़े वालों की बातों को सुनकर अधिवक्ता ने कलावा काटा और पत्नी ने माथे से बिंदी निकाल दी. सिंदूर को टोपी के नीचे छिपा लिया. रास्ते में दौड़ते हुए जो लोग आ रहे थे, वह कह रहे थे कि आतंकी हिन्दू पूछकर गोली मार रहे हैं. इतनी देर में तीन से चार बार फिर से फायरिंग की आवाजें और सुनाई पड़ी. करीब 25 मिनट में हम लोग घोड़े से पहलगाम पहुंचे, तब तक सीआरपीएफ के लोग आ गए थे. जवानों ने सुरक्षा देते हुए अपने वाहनों से होटल पहुंचाया और हिदायत दी कि बाहर न निकलें. दोपहर 3:30 बजे हम लोग होटल में पहुंच चुके थे.
दशहत की वजह से सारी रात जागे
अधिवक्ता ने बताया कि हम लोग दहशत के मारे रात भर जागते रहे. हेलीकॉप्टर, पुलिस सायरन की आवाजें रात भर गुजती रहीं. 23 तारीख को सीआरपीएफ की सुरक्षा में डल झील के हाउसबोट में रात गुजारी. 24 अप्रैल की सुबह श्रीनगर से फ्लाइट से दिल्ली आए. वहां से अपने घर लौट आए हैं. उन्होंने बताया कि पहलगाम की घटना को देखते हुए पत्नी आज भी डरी और सहमी हुई हैं. अगर पत्नी को चोट न लगी होती तो आज हम भी जीवित न होते. पहलगाम में सुरक्षा व्यवस्था के कोई भी इंतजाम नहीं है.
सरकार ने उठाए बड़े कदम
वहीं केंद्र की मोदी सरकार ने अपनी जमीन पर आतंक को पालने-पोसने वाले पाकिस्तान पर कूटनीतिक स्तर पर बडा एक्शन लिया है. सरकार ने सिंधु जल समझौते को स्थगित कर दिया है. अटारी बाघा बॉर्डर को बंद कर दिया है. पाकिस्तानियों को वीजा रद्द और पाकिस्तानी राजनायिकों की संख्या सीमित करने जैसे बड़े फैसले लिए हैं.
हिन्दुस्थान समाचार
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