उत्तराखंड ने इतिहास रच दिया है. बुधवार को विधानसभा सत्र के दौरान चर्चा के बाद समान नागरिक संहिता बिल ध्वनिमत से सदन में पास हो गया. इसी के साथ उत्तराखंड ऐसा करने वाला भारत का पहला राज्य बन गया है. इस प्रस्ताव के पारित होने से पहले बिल पर चर्चा के दौरान बोलते हुए सीएम पुष्कर धामी ने सदन में कहा कि हमारे संविधान निर्माताओं ने जो सपना देखा था, वह जमीन पर उतरकर हकीकत बनने जा रहा है. हम इतिहास रचने जा रहे हैं. देश के अन्य राज्यों को भी उसी दिशा में आगे बढ़ना चाहिए.
उन्होंने विधानसभा में समान नागरिक संहिता विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि समान नागरिक संहिता केवल उत्तराखंड ही नहीं, पूरे भारत के लिए मील का पत्थर साबित होगा. देवभूमि से निकलने वाली गंगा कहीं सिंचित करने और कहीं पीने का काम करती है. समान अधिकारों की गंगा सभी नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करेगी और उसे सुनिश्चित करने का काम करेगी.
यह विधेयक जैसे ही कानूनी रूप लेगा, वैसे ही राज्य में विवाह, तलाक से लेकर तमाम नियम बदल जाएंगे. आईए जानते हैं कि इससे क्या-क्या बदलेगा…
1- विवाह के समय पुरुष की उम्र 21 वर्ष और स्त्री की आयु 18 वर्ष हो. विवाह का पंजीकरण धारा 6 के अंतर्गत रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा. ऐसा नहीं करने पर 20 हजार रुपये का जुर्माना लगेगा.
2- तलाक के लिए कोई भी पुरुष या महिला कोर्ट में तबतक नहीं जा सकेगा, जबतक विवाह की अवधि एक वर्ष पूरी न हो गई हो.
3- विवाह चाहे किसी भी धार्मिक प्रथा के जरिए किया गया हो, लेकिन तलाक केवल न्यायिक प्रक्रिया के तहत होगा.
4- किसी भी व्यक्ति को पुनर्विवाह करने का अधिकार तभी मिलेगा, जब कोर्ट ने तलाक पर निर्णय दे दिया हो और उस आदेश के खिलाफ अपील का कोई अधिकार नहीं बचा हो.
5- कानून के खिलाफ विवाह करने पर छह महीने की जेल और 50 हजार रुपये तक का जुर्माना लग सकता. इसके अलावा नियमों के खिलाफ तलाक लेने में तीन वर्ष तक का कारावास का प्रावधान है.
6- पुरुष और महिला के बीच दूसरा विवाह तभी संभव होगा , जब दोनों के पार्टनर में से कोई भी जीवित न हो.
7- महिला या पुरुष में से अगर किसी ने शादी में रहते हुए किसी अन्य से शारीरिक संबंध बनाए हों तो इसे तलाक का आधार बनाया जा सकता है.
8- यदि किसी ने नपुंसकता या जानबूझकर बदला लेने के लिए विवाह किया है तो ऐसे में तलाक के लिए कोई भी कोर्ट जा सकता है.
9- यदि पुरुष ने किसी महिला के साथ रेप किया हो, या विवाह में रहते हुए महिला किसी अन्य से गर्भवती हुई हो तो ऐसे में तलाक के लिए कोर्ट में याचिका लगाई जा सकती है. यदि महिला या पुरुष में से कोई भी धर्मपरिवर्तन करता है तो इसे तलाक की अर्जी का आधार बनाया जा सकता है.
10- लिव-इन रिलेशनशिप को कानूनी सुरक्षा- रजिस्ट्रेशन अनिवार्य
11- संपत्ति को लेकर महिला और पुरुषों के बीच बराबरी का अधिकार होगा. इसमें किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जाएगा.
उत्तराखंड सरकार के समान नागरिक संहिता की बड़ी बातें…
– सभी धर्मों में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष निर्धारित होगी.
– पुरुष-महिला को तलाक देने के लिए समान अधिकार.
– महिला के दोबारा विवाह में कोई शर्त नहीं.
– अनुसूचित जनजाति दायरे से बाहर.
– बहु विवाह पर रोक, पति या पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी नहीं.
– शादी का रजिस्ट्रेशन जरूरी, बिना रजिस्ट्रेशन सुविधा नहीं.
– उत्तराधिकार में लड़कियों को बराबर का हक.
समान नागरिक संहिता लागू हुई तो क्या होगा?
– हर धर्म में शादी, तलाक के लिए एक ही कानून.
– जो कानून हिन्दुओं के लिए, वही दूसरों के लिए भी.
– बिना तलाक एक से ज्यादा शादी नहीं कर पाएंगे.
कॉमन सिविल कोड से क्या नहीं बदलेगा?
– धार्मिक मान्यताओं पर कोई फर्क नहीं.
– धार्मिक रीति-रिवाज पर असर नहीं.
– ऐसा नहीं है कि शादी पंडित या मौलवी नहीं कराएंगे.
– खान-पान, पूजा-इबादत, वेश-भूषा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
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