सरोजिनी नायडू पुण्यतिथि: सरोजिनी नायडू ( Sarojini Naidu) को देश की एक महान स्वतंत्रता सेनानी और एक कुशल राजनीतिज्ञ के तौर पर जाना जाता है, उनका नाम इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है. सरोजिनी नायडू ने भारत के राष्ट्रीय आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी. जिसके चलते महिलाओं के साथ वो पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत रही हैं. सरोजिनी नायडू को भारत की कोकिला या नाइटिगेंल ऑफ इंडिया के नाम से भी जाना जाता है. नायडू भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरणा का स्रोत थीं. सरोजिनी नायडू एक कवयित्री और राजनीतिक कार्यकर्ता थीं. सरोजिनी नायडू भारत की पहली महिला राज्यपाल बनी थी. 70 साल की उम्र में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया था. 2 मार्च को सरोजिनी नायडू की पुण्यतिथि (Sarojini Naidu Death Anniversary) पर जानें उनके जीवन से जुड़े रोचक तथ्य.
कैसा था सरोजिनी नायडू का बचपन
सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी, 1879 को हैदराबाद के एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनके पिता अनिजाम कॉलेज के प्रिंसिपल थे. उनकी मां बरदा सुंदरी देवी चट्टोपाध्याय एक बंगाली कवयित्री थी. नायडू केवल 12 साल की उम्र में सरोजिनी ने कविताएं लिखने की शुरुआत कर दी थी. उन्होंने मद्रास यूनिवर्सिटी से मैट्रिक परीक्षा में सबसे ज्यादा अंक लाकर टॉप किया था. 16 वर्ष की आयु में हायर एजुकेशन के लिए लंदन और कैम्ब्रिज चली गई थी. 19 साल की उम्र में उनका विवाह आंध्र प्रदेश के डॉक्टर पैदिपति गोविंदराजुलु नायडू से हुआ था. देश के आजाद होने के दो साल बाद 2 मार्च, 1949 को लखनऊ के गवर्मेंट हाउस में हार्टअटैक के चलते उनकी (सरोजिनी नायडू) मृत्यु हुई थी.
इस तरह राजनीति में हुई शामिल
सरोजिनी नायडू ने महात्मा गांधी और गोपाल कृष्ण गोखले जैसे नेताओं से प्रेरित होकर भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में अहम भूमिका निभाई. उनकी राजनीतिक यात्रा सन् 1905 में बंगाल के विभाजन से शुरू हुई थी. सरोजिनी नायडू साल 1914 में महात्मा गांधी से पहली बार मिली थीं और तभी से उनके अंदर आजादी की ज्वाला पनपी. 1916 में नेहरू के साथ मिलकर ब्रिटिश उत्पीड़न को चुनौती देते हुए, बिहार के चंपारण में नील श्रमिकों के अधिकारों की वकालत की. नायडू ने 1917 में एनी बेसेंट के साथ महिला भारत संघ की सह-स्थापना की और स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की वकालत की. वर्ष 1925 में सरोजिनी नायडू को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया. वो पहली भारतीय महिला थीं, जिन्हें अध्यक्ष बनाया गया था. सरोजिनी नायडू के बहुमुखी योगदान ने भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई पर एक महत्वपूर्ण छाप छोड़ी.
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