दिल्ली के कालकाजी मंदिर के बारे में आपने सुना होगा लेकिन राजधानी में मां कालका का एक और बेहद फेमस मंदिर है. प्राचीन काली मंदिर के नाम से मशहूर यह मंदिर रोहिणी सेक्टर-3 स्थित बाहरी रिंग रोड पर स्थित है. इस मंदिर में सालभर भक्तों का तांता लगा रहता है. शनिवार को यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है. इस दिन विशेष तौर पर भक्त माता के दर्शन करने के लिए आते हैं.
बताया जाता है कि इस मंदिर में स्वयं काली कलकत्ते वाली माता विराजमान है. मान्यता है कि जो भी भक्त मां के चरणों में हाजिरी लगाता है और पूजा करता है उसकी सभी मनोकामना पूरी होती है. मंदिर में काली माता के अलावा श्रीराम, हनुमान, साई नाथ, शनि देव सहित कई देवी-देवताओं की मूर्ति स्थापित की गई है.
माता के मंदिर की इतनी महिमा है कि श्रद्धालु दूर-दूर से मां काली के दर्शन करने के लिए आते हैं. बता दें हरियाणा, राजस्थान और पंजाब के लोग मां के दर्शन करने आते हैं.
मंदिर का इतिहास
प्राचीन काली माता मंदिर का इतिहास 100 साल पुराना है. मंदिर समिति की मानें तो एक साधु ने इसकी स्थापना की थी. इस साधु ने एक झूले पर बैठकर तपस्या की थी. पहले यहां एक पत्थर की मूर्ति होती थी. जिसके सामने विशाल बरगद का पेड़ था. लेकिन बाद में श्रद्धालुओं के लिए इसका विस्तार कर सुविधा की गई. अभी 11 सदस्यी टीम मंदिर की देखभाल कर रहे हैं.
मंदिर की विशेषता
इस प्राचीन काली मंदिर में वैसे तो रोजाना भक्तों की भारी भीड़ होती है लेकिन विशेष तौर पर नवरात्र के दिनों में लाखों की संख्या में भक्तों का हुजूम उमड़ता है. 1 से 2 किलोमीटर तक भक्तों की कतार होती है. कई बार दो 2 कतारें भी लग जाती है.
बता दें नवरात्र में 9 दिनों तक माता की चौकी का आयोजन किया जाता है. जिसमें लाखों भक्त हिस्सा लेते हैं. मंदिर में सुबह और शाम मां की आरती की जाती है. बता दें रात के समय एक विशेष शयन आरती होती है. मंदिर इतना लोकप्रिय है कि यहां वैष्णों देवी मंदिर के पुजारी भी दर्शन के ले आते हैं. काली माता मंदिर में भक्तों की सुविधा के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हुए हैं. मंदिर परिसर पूरी तरह सीसीटीवी से लैस है.
नजदीक मेट्रो स्टेशन- पीतमपुरा (रेड लाइन)
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